Thursday 3rd of July 2025 12:38:15 PM
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दीपिका पांडेय सिंह ने की झारखंड में पूर्ण शराबबंदी की मांग

दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने शराबबंदी के खिलाफ चलाया था आंदोलन- दीपिका पांडे सिंह
दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने शराबबंदी के खिलाफ चलाया था आंदोलन- दीपिका पांडे सिंह

रांची । महागामा से कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने झारखंड में पूर्ण शराबबंदी की मांग की है। उन्होने कहा कि यदि हम लोग राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के आदर्श के अनुशरण की बात करते हैं तो हम यह नहीं भूल सकते की राष्ट्रपिता भी शराब को सभी बुराइयों की जड़ मानते हुए पूर्ण मद्य निषेध के पक्ष में थे।

दिशोम गुरु के सपनों का झारखंड बनाएं हेमंत सोरेन

दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि  हेमन्त सोरेनज की सरकार ने भी हाल में मद्य उत्पाद निषेध नीति को एक नया रूप दिया है। मगर समाज के लिए यह चिन्ता एवं तकलीफ का विषय है की किसी भी सरकार ने जनभावना का सम्मान करते हुए झारखण्ड में पूर्ण शराबबंदी का कोई कदम नहीं उठाया। मैं इस विषय में मुख्यमंत्री से माँग करती हूँ कि वह झारखण्ड में शराबबंदी लागू कर झारखण्ड को बचाएं। ऐसा कर वह न केवल यश और करोड़ों जनता के आशीर्वाद के भागी होंगे वल्कि उन्हें दिसोम गुरु आदरणीय शिबू सोरेनजी के सपनों को भी साकार करने का मौक़ा मिलेगा। सामाजिक सुधार आंदोलन के क्रम में शिबू सोरेन ने हमेशा मद्य निषेध की वकालत की है।

शराब विरोधी आंदोलन की भूमि रही है झारखंड

महागामा विधायक ने कहा कि झारखण्ड तो वह भूमि है जहाँ के आदिवासी समाज ने एक सदी पूर्व पूरे भारत के समक्ष सम्पूर्ण मद्य निषेध की मिशाल पेश की थी। झारखण्ड के ‘टाना भगत’ आदिवासी समुदाय के लोग पूरे देश में सम्मान की नजर से देखे जाते हैं क्यों की ‘टाना भगत’ मन और आचरण से सम्पूर्ण मद्य निषेध का पालन करते हैं। जिस समाज को महात्मा गाँधी का सच्चा अनुयायी होने का गौरव प्राप्त है जिस समाज से महात्मा गाँधी स्वयं बहुत प्रभावित थे क्या उस झारखण्ड में सम्पूर्ण मद्य निषेध नहीं हो सकता है ?

हमें राजस्व की चिंता के साथ-साथ सामाजिक दायित्व भी निभाना है

उन्होने कहा कि शराब के कारण न केवल एक परिवार आर्थिक रूप से बर्बाद होता है एक पूरी नस्ल इसके कुप्रभाव के चपेट में आ जाती है। शराब के कारण महिलाओं पर विविध नृशंस अत्याचार और अपराध होते हैं। शराब नाबालिगों के संग अपराध सहित अन्य अपराधों की जड़ रही है। सरकार को शराब को लेकर पिछले 21 वर्षों का सोसल-इकोनॉमिक-हेल्थ इम्पैक्ट सर्वे करवाना चाहिए ताकि पता चले की शराब के कारोबार से राज्य और राज्य के लोगों ने क्या खोया और क्या पाया। शराब के कारण झारखण्ड के ह्यूमन रिसोर्स का नुकसान ही हुआ है।

महज राजस्व संग्रह के नाम पर सम्पूर्ण मद्य निषेध की माँग को अनसुना नहीं किया जा सकता है क्योंकी झारखण्ड में राजस्व पैदा करने के अन्यान्य विपुल संसाधन और संभावनाएं मौजूद हैं जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है । देश के कई राज्यों में सम्पूर्ण मद्य निषेध है तो ऐसा झारखण्ड में क्यों नहीं हो सकता।

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