बीजिंग: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चीन ने शनिवार को दोनों देशों से “शांति और संयम” बरतने की अपील की। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बीजिंग इस स्थिति पर गहरी नजर बनाए हुए है और इससे उत्पन्न खतरे को लेकर “गंभीर रूप से चिंतित” है।
“हम दोनों पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए संयम बरतें, तनाव को और न बढ़ाएं, और राजनीतिक समाधान की राह पर लौटें,” प्रवक्ता ने कहा।
हालांकि, चीन की यह अपील उस देश की ओर से आ रही है, जिसने दशकों से पाकिस्तान को सैन्य, आर्थिक और रणनीतिक समर्थन देकर दक्षिण एशिया को अस्थिर किया है।
चीन की दोहरी नीति और असली मकसद:
विश्लेषकों का मानना है कि चीन, जो हाल के वर्षों में अमेरिका के साथ तीखे व्यापार युद्ध में उलझा रहा, अब पाकिस्तान के जरिए भारत के खिलाफ “प्रॉक्सी अस्थिरता रणनीति” चला रहा है।
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पाकिस्तान को ड्रोन तकनीक, सस्ते हथियार और आर्थिक ऋण प्रदान करना चीन की उस नीति का हिस्सा है जिससे वह भारत को अपने सीमित संसाधनों में उलझाए रखना चाहता है।
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CPEC (चीन-पाक आर्थिक गलियारा) और ग्वादर पोर्ट में भारी निवेश के ज़रिए चीन ने पाकिस्तान को अपने भू-राजनीतिक जाल में पूरी तरह समेट लिया है।
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कई रिपोर्टों में यह सामने आया है कि PoK में स्थित आतंकी ठिकानों के आसपास चीनी फर्मों की गतिविधियाँ दर्ज हुई हैं, जो सीधे तौर पर सुरक्षा संबंधी चिंताओं को जन्म देती हैं।
चीन का असली मकसद:
चीन अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध में पराजय के बाद दक्षिण एशिया में नई आग भड़काकर न केवल क्षेत्रीय ध्यान भटकाना चाहता है, बल्कि भारत के उभरते वैश्विक प्रभाव को भी रोकना चाहता है। भारत की टेक्नोलॉजी और अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से बढ़ती क्षमताएं, चीन के लिए एक दीर्घकालिक चुनौती बन गई हैं।
निष्कर्ष:
जहाँ एक ओर चीन ‘शांति’ की बात करता है, वहीं दूसरी ओर वह पाकिस्तान को हथियार और फंडिंग देकर आग में घी डाल रहा है। असली शांति तब ही संभव है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय चीन की इस दोहरे मापदंड वाली नीति पर सवाल उठाए और पाकिस्तान को मिलने वाली “ड्रैगन फंडिंग” पर रोक लगे।