मुख्य बिंदु:
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नक्सलियों की घटती संख्या के कारण वे अब बच्चों को भर्ती कर रहे हैं।
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9 से 17 साल के 80 नाबालिग भर्ती किए गए, जिनमें से कई स्कूली बच्चे हैं।
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गुरिल्ला युद्ध, हथियारों और विस्फोटकों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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बस्तर आईजी ने कहा, सुरक्षा बल सतर्क हैं और बच्चों को नक्सल प्रभाव से बचाने की योजना बनाई जा रही है।
नक्सलियों की नई चाल: स्कूली बच्चों को बना रहे हैं लड़ाके
बीजापुर: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा-बीजापुर सीमा पर 25 मार्च को मारे गए शीर्ष नक्सली नेता सुधाकर उर्फ मुरली के पास से मिले तीन पन्नों के पत्र ने नक्सल संगठनों की खतरनाक रणनीति का खुलासा किया है। इस पत्र से पता चला है कि नक्सली अब नाबालिगों को भर्ती कर रहे हैं और उन्हें लड़ाई के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं।
पत्र के मुताबिक, 23 जनवरी को हुई एक बैठक में इंद्रावती एरिया कमेटी और नेलनार एरिया (माड़ डिविजन) में 130 नए लड़ाकों की भर्ती की गई। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें 80 नाबालिग शामिल हैं, जिनमें से 40 की उम्र 9-11 साल और बाकी 14-17 साल के बीच है। इनके अलावा, 18-22 साल के 50 युवाओं को भी भर्ती किया गया है।
कैसे किया जा रहा है बच्चों का ब्रेनवॉश और प्रशिक्षण?
पत्र के अनुसार, अनपढ़ बच्चों को पहले पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है, फिर उन्हें गुरिल्ला युद्ध, हथियार चलाने, बम बनाने और आईईडी लगाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा, भूगोल, नक्सली संगठन का इतिहास और नक्सली क्रांति की जानकारी भी दी जाती है, ताकि वे संगठन से भावनात्मक रूप से जुड़ जाएं।
नक्सलियों की सबसे बड़ी चिंता – नई भर्तियों की कमी
पत्र में बताया गया है कि नक्सली संगठन नई भर्ती के संकट से जूझ रहा है। अब युवा नक्सलियों से जुड़ने में रुचि नहीं ले रहे हैं। ग्राम सभाओं में भी भर्ती अभियान विफल हो रहा है, क्योंकि नए रंगरूट लड़ाई के लिए तैयार नहीं हैं।
सबसे बड़ी चिंता यह है कि वरिष्ठ नक्सली या तो मारे जा चुके हैं या आत्मसमर्पण कर चुके हैं। ऐसे में संगठन का अस्तित्व खतरे में है।
पत्र में यह भी लिखा है कि नए रंगरूटों को उनके गांवों में नहीं जाने की चेतावनी दी गई है, क्योंकि इससे उनके सरेंडर या गिरफ्तार होने का खतरा रहेगा। हालांकि, उन्हें जंगलों में बने छिपे हुए ठिकानों पर परिवार से मिलने की अनुमति दी गई है।
सुरक्षा बल सतर्क – नाबालिगों को बचाने की योजना तैयार
बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. ने इस खतरनाक प्रवृत्ति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा,
“सुरक्षा बलों की कार्रवाई से नक्सली हमलों में भारी कमी आई है। लेकिन यह गंभीर चिंता की बात है कि नक्सली अब बच्चों को लड़ाई में मानव ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा,
“सुरक्षा बल सतर्क हैं और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नक्सली नाबालिगों को अपने गतिविधियों में शामिल न कर सकें। बच्चों को नक्सल प्रभाव से बचाने और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए एक विशेष योजना तैयार की जा रही है।”