चतरा/गीतांजलि:- चतरा जिले में जिस बात का डर था, अब वही होने लगा है।पूर्व में चतरा जिले को उग्रवादियों के गढ़ के रूप में जाना जाता था ।मगर अब चतरा का पहचान अफीम की खेती के साथ-साथ अफीम से बने ब्राउन शुगर के उत्पादन के लिए विशेष रूप से होने लगा है।चतरा जिले के अंदरूनी इलाकों में अफीम के साथ साथ ब्राउन सुगर का भी उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा है।
इस बात का खुलासा चतरा के एसपी ऋषभ झा ने की है ।उन्होंने बताया कि तकरीबन करोड़ रुपए प्रति किलो बिकने वाला ब्राउन शुगर का चतरा जिला के विभिन्न क्षेत्रों में अब उत्पादन होने लगा है। इसके साथ ही सबसे खतरनाक पहलू यह है कि चतरा के युवाओं में भी ब्राउन शुगर की लत लग रही है। हालांकि इस पर नकेल कसने के लिए पुलिस प्रशासन ने संयुक्त रूप से कई अभियान चलाए हैं, जिनमें कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ नुक्कड़ नाटक एवं सप्लाई चेन तोड़ने की कवायद पर जोर दिया गया है। एसपी झा ने बताया है कि पिछले 1 वर्ष में चतरा जिला से तकरीबन 2 किलो ब्राउन शुगर बरामद किया गया है। इसके अलावा करीब 500 किलोग्राम अफीम,10000 किलोग्राम डोडा और 22 लाख रुपए नगद के साथ-साथ अफीम तस्करी से जुड़े 130 लोगों को जेल भेजा गया है।
गौरतलब है कि पिछले डेढ़ दशकों से चतरा में अफीम की खेती हो रही है। चतरा जिला के भौगोलिक क्षेत्र का लाभ उठाकर अब ऐसे जमीन पर खेती हो रही है जो ज्यादातर वन भूमि एवं सरकारी जमीन है ।उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अफीम तस्करी के तार देश की राजधानी दिल्ली,उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा से जुड़े हुए हैं ।उन्होंने बताया कि चतरा के कई अफीम तस्कर पंजाब,हरियाणा,यूपी एवं दिल्ली से गिरफ्तार किए गए हैं ।इससे साफ होता है कि चतरा के अफीम तस्करों का तार देश की राजधानी के साथ-साथ बड़े शहरों से भी जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि पुलिस प्रशासन के द्वारा अफीम की खेती का विनष्टीकरण अभियान चलाया जाता है ।उसके बाद अफीम के सप्लाई चैन को तोड़ने को लेकर पूरे क्षेत्र में अभियान चलाया जा रह हैं। बावजूद इसके अफीम की तस्करी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अफीम तस्करी के लिए कोई ऑर्गेनाइजड सिंडिकेट यानी संगठित गिरोह नहीं काम कर रहा है बल्कि स्थानीय स्थानीय स्तर पर ही गिरोह बनाकर अफीम की तस्करी बड़े पैमाने पर की जाती हैं ।
पुलिस-प्रशासन एवं सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद भी अफीम की खेती पर नकेल नहीं कसा जा सका है।हालांकि एसपी ऋषभ झा सशक्त सूचना तंत्र के कारण पिछले कुछ महीनों से अफीम तस्करों में हड़कंप मचा हुआ है और भारी मात्रा में अफीम के साथ-साथ ब्राउन शुगर भी बरामद किया जा रहा है।लेकिन दुर्भाग्य से स्थानीय युवाओं के द्वारा ही अफीम से ब्राउन शुगर बनाने मिनी प्लांट भी लगाया गया है जो काफी खतरनाक माना जा रहा है।
चतरा जिला के राजपुर,हंटरगंज,प्रतापपुर,कुंदा,लावालौंग,सिमरिया, गिधौर,पथलगड्डा,इटखोरी आदि थाना क्षेत्रों में सबसे ज्यादा अफीम की खेती होती है। पुलिस-प्रशासन एवं अन्य सामाजिक संगठनों के द्वारा भी अफीम की खेती से चतरा जिला को उबारने का प्रयास किया जा रहा है।हालांकि राज्य सरकार अफीम की खेती पर नकेल कसने के लिए जब तक कोई व्यापक रणनीति नहीं बनाएंगे तब तक शायद अफीम की खेती पर पूरी तरह अंकुश लगाना संभव नहीं हो पाएगा।