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चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना: क्या पार्टी को मिलेगा फायदा या होगा नुकसान?

चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना: क्या पार्टी को मिलेगा फायदा या होगा नुकसान?

झारखंड की राजनीति में हलचल मचाने वाले चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने पर कई राजनीतिक विश्लेषक सवाल उठाने लगे हैं। यहाँ हम उन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो दर्शाते हैं कि भाजपा को इस जोड़ से शायद उतना लाभ नहीं होगा जितना कि उम्मीद की जा रही थी।

1. चुनावी आंकड़ों का विश्लेषण

सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनावों के आंकड़े बताते हैं कि चंपई सोरेन की जीत का मार्जिन हर बार कम होता गया है। 2005 में उन्होंने भाजपा के लक्ष्मण टुडू को महज 883 वोट से हराया था, 2009 में ये मार्जिन बढ़कर 3246 वोट हो गया, लेकिन 2014 में यह घटकर 1115 वोट रह गया। इस बार, चंपई सोरेन के खिलाफ एंटी-इनकम्बेंसी के प्रभाव को देखते हुए भाजपा को फायदा होने की संभावना कम है।

2. इस बार क्या बदल गया है?

चंपई सोरेन की मुख्यमंत्री के रूप में प्रदर्शन की चर्चा करते हुए, यह साफ होता है कि उनके कार्यकाल में अपेक्षित विकास कार्य नहीं हुए। इसके अलावा, आदिवासी वोटर की भाजपा में शिफ्ट होने की उम्मीद भी बेमानी लगती है, क्योंकि सोरेन को गद्दार के रूप में प्रचारित किया जा रहा है।

3. बेटे की विवादित छवि

चंपई सोरेन की ईमानदारी पर सवाल नहीं, लेकिन उनके बेटे की विवादित छवि ने उनकी राजनीतिक संभावनाओं को प्रभावित किया है। बेटे की भ्रष्ट छवि और गुंडागर्दी की कहानियां पार्टी के लिए नकारात्मक असर डाल सकती हैं। यदि चंपई के बेटे को टिकट देने की योजना सच है, तो भाजपा के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है।

4. रमेश हांसदा और गणेश महली की स्थिति

सूत्रों के अनुसार, रमेश हांसदा अपने राजनीतिक कैरियर को सुरक्षित रखना चाहते हैं और वे 28 अगस्त को हेमंत सोरेन के दौरे के दौरान झामुमो में शामिल हो सकते हैं। गणेश महली की स्थिति भी चिंताजनक है; अगर वे शांत बैठते हैं, तो भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

5. चंचल गोस्वामी और प्रदेश भाजपा की भूमिका

चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की प्रक्रिया में प्रदेश भाजपा यूनिट को दरकिनार किए जाने की बात सामने आई है। चंचल गोस्वामी के हेमंत सोरेन से पुराने संबंधों के कारण, इस पूरे खेल को रांची के पत्रकार और चंपई के बेटे के माध्यम से अंजाम दिया गया है। झारखंड भाजपा के एक नेता का कहना है, “अगर चंपई सोरेन अलग पार्टी बनाकर लड़ते तो भाजपा को ज़्यादा फायदा होता।”

इस प्रकार, चंपई सोरेन की भाजपा में शामिल होने से पार्टी को संभावित लाभ की तुलना में अधिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। राजनीतिक रणनीति और चुनावी गणित को देखते हुए भाजपा को अपने कदमों पर ध्यान देने की जरूरत है।

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