
केन्द्रीय उर्जा मंत्रालय के द्वारा रिजर्व बैंक के माध्यम से राज्य सरकार के खाते से 714 करोड़ रुपये फिर से काट लिए गये। सभी को मालूम है कि झारखंड के उर्जा विभाग में जो केन्द्र का बकाया है, उसे किस प्रकार जबरन वसूला जाता है। हमने कई बार केन्द्र सरकार के सामने आपत्ति दर्ज कराई है। मुख्यमंत्री खुद केन्द्र से मिलकर कई बार इसपर आपत्ति जता चुके हैं, इसके बावजूद केन्द्र सरकार का रवैया जोर-जबरदस्ती वाला रहा है। ये बातें झामुमो के महासचिव विनोद पांडे ने रांची में संवाददाता सम्मेलन के दौरान कही।
2021 में दो बार पैसे काट लिए, सितम्बर और दिसंबर में भी पैसे काट लेगा केन्द्र
झामुमो महासचिव विनोद पांडेय वे कहा कि राज्य कैबिनेट ने ये फैसला लिया कि 2017 में जो त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी, उस समझौते से हम अलग हो रहे हैं। इसके बावजूद 2020 में, 2021 में और फिर दोबारा 2021 में पैसे काटने का जो केन्द्र सरकार का रवैया है, वो लगातार जारी है। हमें तो ये भी पता चला है कि केन्द्र सरकार सितम्बर और दिसम्बर माह में भी पैसे काट लेगी ।
राज्य सरकार ने हर महीने 125 करोड़ रुपया केन्द्र सरकार के खाते में जमा किये
झामुमो महासचिव ने कहा कि केन्द्र सरकार का रवैया झारखंड के प्रति भेदभावपूर्ण है। उन्होने कहा कि जो बकाया राशि है उस राशि के भुगतान के लिए राज्य सरकार ने हर महीने 125 करोड़ रुपया केन्द्र सरकार के खाते में जमा करने का काम किया है, लेकिन इतना सबकुछ करने के बावजूद राज्य के उर्जा विभाग को एक नोटिस भी दिया गया है। डीवीसी का जो कमांड एरिया है, उसमें सात जिले हैं। उन सात जिलों के लोगों पर केन्द्र सरकार के इस कदम पर बहुत गहरा असर होगा।
राज्य की जो हालत है उसमें सैलरी और पेंशन देने पर भी आफत
केन्द्र सरकार इतने पर ही नहीं रुकी, राज्य सरकार का जो केन्द्र पर बकाया है जैसे जीएसटी का पैसा, उस पैसा देने को लेकर केन्द्र सरकार ने एक शब्द तक नहीं बोला। झारखंड से भाजपा के 12 सांसद हैं, लेकिन किसी सांसद ने झारखंड के हक के लिए आवाज नहीं उठाई। इस राज्य की वित्तीय स्थिति क्या है आप सबको पता है। आज स्थिति ये है कि केन्द्र सरकार के द्वारा जो राज्य के 714 करोड़ रुपये काटे गये हैं, उससे राज्य के जो कर्मी हैं, उनके वेतन पर भी असर पड़ सकता है। ये मैं नहीं कह रहा बल्कि राज्य के वित्त मंत्री कह रहे हैं।