नई दिल्ली: बांग्लादेश में विपक्षी ताकतें मजबूत होती जा रही हैं। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने समयपूर्व चुनाव की मांग तेज कर दी है, जिससे देश में राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ गई है। इस बीच, स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (SAD) और जातीय नागरिक समिति (JNC) के नेताओं ने एक नए राजनीतिक दल के गठन की घोषणा की है, जिससे बांग्लादेश की चुनावी राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।
BNP प्रमुख खालिदा जिया ने गुरुवार को पार्टी की विस्तारित बैठक को लंदन से वर्चुअली संबोधित करते हुए अस्थायी सरकार से जल्द चुनाव कराने और लोकतंत्र बहाल करने के लिए आवश्यक सुधार लागू करने की अपील की।
बांग्लादेश की नई राजनीतिक स्थिति
बांग्लादेश के मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, SAD और JNC के नेता शुक्रवार को “जातीय नागरिक पार्टी (National Citizens’ Party)” की औपचारिक घोषणा कर सकते हैं।
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। हसीना के इस्तीफे के बाद, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार बनी, जिसका उद्देश्य राजनीतिक स्थिरता बहाल करना और नए चुनाव कराना था।
छात्र आंदोलन SAD ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जो धीरे-धीरे एक बड़े जनांदोलन में बदल गया। इस दौरान हुए संघर्ष में 1,000 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिसके बाद शेख हसीना ने 5 अगस्त 2024 को इस्तीफा देकर भारत में शरण ली।
हालांकि, बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता अभी भी बनी हुई है। हाल ही में SAD के नेता नाहिद इस्लाम ने अंतरिम सरकार से इस्तीफा दे दिया और अब नए राजनीतिक दल के संयोजक बनने की संभावना जताई जा रही है।
BNP की रणनीति और भारत पर प्रभाव
BNP महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने आरोप लगाया कि शेख हसीना और कुछ गुप्त राजनीतिक ताकतें लोकतंत्र को बाधित करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर बांग्लादेश के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों के नाम सरकारी संस्थानों से हटा रहे हैं और उनकी जगह विवादास्पद व्यक्तियों को ला रहे हैं।
भारत के लिए यह घटनाक्रम बेहद अहम है, क्योंकि बांग्लादेश भारत का करीबी पड़ोसी और रणनीतिक साझेदार है। बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन से भारत के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों, व्यापार और सुरक्षा सहयोग पर असर पड़ सकता है।
ढाका स्थित पत्रकार सैफुर रहमान तपन का कहना है कि आगामी चुनाव तभी निष्पक्ष माने जाएंगे, जब इसमें अवामी लीग को भाग लेने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, “हसीना के हटने के बाद अवामी लीग का समर्थन आधार अब भी मजबूत बना हुआ है।”
हालांकि, बांग्लादेश में निकट भविष्य में चुनाव होने की संभावना कम है। शुक्रवार को SAD और JNC के नए राजनीतिक दल की घोषणा से कुछ अटकलें जरूर लगाई जाएंगी, लेकिन स्थिति को लेकर अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है।