हैदराबाद: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने शुक्रवार को गच्चीबौली स्थित जीएमसी बालयोगी स्टेडियम में आयोजित राज्य भाषा विभाग की स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि हिंदी के अंधविरोध का अब कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि आज के दौर में, जब रोजगार, शिक्षा और व्यापार में भाषा रुकावट नहीं रही, तो हिंदी से डरना या उसे नकारना व्यावहारिक नहीं है।
उन्होंने सवाल उठाया, “हम जब विदेश जाते हैं तो वहां की भाषा सीखते हैं, फिर हिंदी को लेकर इतना संकोच क्यों?” साथ ही उन्होंने यह भी कहा, “जब हम सहजता से अंग्रेज़ी बोलते हैं तो हिंदी बोलने में हिचक क्यों?”
🔹 दक्षिण भारतीय फिल्मों में हिंदी की मांग:
पवन कल्याण ने बताया कि दक्षिण भारत की करीब 31% फिल्में हिंदी में डब होती हैं और इनसे काफी राजस्व मिलता है। “क्या व्यवसाय के लिए हिंदी ज़रूरी नहीं है?” उन्होंने यह सवाल उपस्थित जनसमूह से पूछा।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी सीखना अपनी मातृभाषा से दूर जाना नहीं है, बल्कि यह प्रगति की दिशा में एक कदम है। “अब्दुल कलाम एक तमिल थे, लेकिन उन्हें हिंदी बहुत प्रिय थी। हमें सांस्कृतिक गर्व और भाषाई कट्टरता को अलग-अलग देखना चाहिए।”
पवन कल्याण ने कहा, “अगर मातृभाषा हमारी मां है, तो हिंदी हमारी दादी के समान है। दूसरी भाषा को स्वीकार करने का मतलब यह नहीं कि हम अपनी पहचान खो देंगे, बल्कि यह सबको साथ लेकर चलने की भावना है।”
🔹 अवसरों के द्वार खोलती है हिंदी:
उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि भाषा को राजनीति का विषय न बनाकर आगामी पीढ़ियों के भविष्य के लिहाज़ से सोचना चाहिए। “हिंदी बोलने से इनकार करना, आने वाले अवसरों के दरवाज़े खुद ही बंद कर लेना है,” उन्होंने कहा।
इस कार्यक्रम में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी भी उपस्थित थे। आयोजन का थीम था ‘दक्षिण संवादम्’।