मोदी मंत्रीमंडल के विस्तार में जिन दो चेहरों की सबसे अधिक चर्चा हो रही है वो है भूपेन्द्र यादव और अन्नपूर्णा देवी । अगर आप यूपी और बिहार के यादव नहीं हैं तो भाजपाई हैं । इस कथन को भूपेन्द्र यादव और अन्नपूर्णा देवी ने सच कर दिखाया। एक यदुवंशी महिला जो झारखंड के दुमका जिले के एक छोटे से गांव अजमेरी में एक कृषक परिवार में जन्मी । जिस परिवार में अन्नपूर्णा देवी का जन्म हुआ था वहां पढ़ाई-लिखाई तो दूर, अकेली लड़की का बाजार जाना ही बहुत बड़ी घटना थी । लेकिन अन्नपूर्णा देवी की जीवटता देखिए, वे माध्यमिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए अपने गांव से पांच किमी दूर स्कूल जाती थीं । दुमका से ही मैट्रिक करने के बाद आगे की पढाई पटना से की । रांची यूनिवर्सिटी से इतिहास में एमए किया ।
भाजपा समर्थित परिवार की बेटी का ब्याह राजद नेता के घर
विधाता समय का चक्र कैसे घूमाता है देखिए । दुमका में अन्नपूर्णा देवी का कृषक परिवार जनसंघ और फिर भाजपा का समर्थक था, लेकिन बेटी अन्नपूर्णा की शादी हुई एकीकृत बिहार के समय राजद के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री रमेश प्रसाद यादव से । इनकी शादी 1993 में हुई । एक घरेलू बहू के तौर पर वह खुश थीं । पांच वर्षों में तीन बच्चों की मां बन चुकी थीं । लेकिन अन्नपूर्णा की खुशी बस यहीं तक थी, इसके बाद तो उन्हें दुख और संघर्ष में तपकर कुंदन बनना था। 1998 में इनके पति रमेश प्रसाद यादव की मृत्यु हो गई ।
पति की मौत के बाद 1998 में पहली बार घर की दहलीज के बाहर पांव रखा
वर्ष 1998 था, जब उन्होंने घर की दहलीज से बाहर निकलकर राजनीति में कदम रखा । रमेश यादव के निधन के चलते 1998 में कोडरमा सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में राजद ने उन्हें उम्मीदवार बनाया और उन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की । कहा गया कि ये सहानुभूति लहर थी । बिहार सरकार में खान राज्य मंत्री बनाया गया । लेकिन पहली बार सहानुभूति लहर पर सवार होकर जीतने वाली अन्नपूर्णा अपनी बाकिलियत के दम पर लगातार चुनाव दर चुनाव जीतती रहीं। वर्ष 2013 में राज्य की हेमंत सोरेन सरकार में जलसंसाधन, महिला एवं बाल विकास मंत्री का दायित्व मिला ।इसके बाद लगातार वर्ष 2014 तक लगातार विधानसभा में कोडरमा का प्रतिनिधित्व करती रहीं ।
मोदी लहर में पहली बार नीरा यादव से मिली हार
वर्ष 2014 के चुनाव में इन्हें पहली बार चुनावी हार का सामना करना पड़ा । भाजपा की उम्मीदवार नीरा यादव ने इन्हें विधानसभा चुनाव में परास्त किया और वे रघुवर दास की सरकार में शिक्षा मंत्री बनीं । लेकि अन्नपूर्णा देवी ने हार नहीं मानी और वे राजद की प्रदेश अध्यक्ष चुनी गईं ।
अचानक भाजपा में एंट्री और झारखंड में सबसे ज्यादा वोटों के अंतर से जीत
इसी बीच अन्नपूर्णा देवी ने वर्ष 2019 के मार्च महीने में चौंकानेवाला फैसला लिया । उन्होंने राजद छोड़कर भाजपा का दामन थामा । वह राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव की करीबी मानी जाती थी । इस वजह से लोग उनके भाजपा में जाने पर चौंके । कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से पार्टी ने टिकट दिया और उन्होंने रिकार्ड मतों से जीत हासिल की ।
पार्टी उपाध्यक्ष, हरियाणा का प्रभार और अब केन्द्रीय राज्य मंत्री
भूपेन्द्र यादव ने इन्हें भाजपा में शामिल कराया था और कहा जाता है कि अन्नपूर्णा देवी को पार्टी उपाध्यक्ष बनाने में भी भूपेन्द्र यादव की अहम भूमिका रही । राष्ट्रीय नेतृत्व ने इनको हरियाणा भाजपा के सह प्रभारी का भी दायित्व दिया । राष्ट्रीय टीम में शामिल होने के बाद पार्टी ने इन्हें बिहार और बंगाल विधानसभा चुनाव में लगाया । बिहार में जिन-जिन जगहों पर इन्हें भेजा गया । लगभग सभी जगहों से भाजपा प्रत्याशी को जीत मिली । अब मोदी सरकार में इन्हें राज्य मंत्री का दायित्व दिया जा रहा है ।