रोमानिया-रूस विवाद: क्या है वजह और ताजा हालात?
दक्षिण-पूर्वी यूरोप का देश रोमानिया रूस के खिलाफ अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क हो गया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इस क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में रूस द्वारा रोमानिया की सीमा से सटे इलाकों में ड्रोन भेजने की घटनाओं ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। इन गतिविधियों के बाद रोमानिया ने अपने 86वें एयर बेस से दो F-16 फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं।
रूसी ड्रोन पर रोमानिया की कड़ी प्रतिक्रिया
रोमानिया के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की कि गुरुवार सुबह 3:40 बजे से 5:00 बजे तक दो F-16 फाइटर जेट्स ने आसमानी गश्त की। यह निर्णय रूस के ड्रोन को रोमानियाई सीमा के करीब मंडराते हुए देखने के बाद लिया गया। मंत्रालय ने यह भी बताया कि सीमा से सटे स्थानीय निवासियों को संभावित हवाई खतरे को लेकर चेतावनी दी गई थी। यह अलर्ट लगभग 90 मिनट तक जारी रहा। हालांकि, ड्रोन यूक्रेन के ऊपर ही रहे, लेकिन उनकी नजदीकी ने रोमानिया को सतर्क कर दिया।
ड्रोन को मार गिराने का कानून
डिसंबर में रोमानियाई सरकार ने एक मसौदा कानून को मंजूरी दी थी, जिसके तहत उसकी सेना को हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले विदेशी ड्रोनों को मार गिराने की अनुमति दी गई है। यह कदम रूस के लगातार हमलों और हवाई क्षेत्र की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
रोमानिया की सुरक्षा रणनीति
रोमानिया का रक्षा मंत्रालय इस घटनाक्रम के बाद लगातार अपने हवाई क्षेत्र में निगरानी मिशन चला रहा है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते उत्पन्न उच्च जोखिम से निपटने के लिए वे पूरी तरह तैयार हैं।
रोमानिया-रूस के संबंध: इतिहास और वर्तमान स्थिति
रोमानिया और रूस के बीच संबंध हमेशा दोस्ती, दुश्मनी और तटस्थता के बीच झूलते रहे हैं। सोवियत संघ के विघटन के बाद 1990 के दशक में ट्रांसनिस्ट्रिया विवाद के चलते दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। वर्तमान में रोमानिया का मास्को में दूतावास और सेंट पीटर्सबर्ग में महावाणिज्य दूतावास है, जबकि रूस का बुखारेस्ट में दूतावास और कॉन्स्टैंटा में महावाणिज्य दूतावास है।
क्यों बढ़ा तनाव?
रूस का यूक्रेन पर आक्रमण और हालिया ड्रोन गतिविधियां इस तनाव का मुख्य कारण हैं। रोमानिया की सीमाओं के पास ड्रोन देखे जाने से सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं।
आगे क्या?
रोमानिया ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पूरी तरह तत्पर रहेगा। इस घटनाक्रम ने न केवल दक्षिण-पूर्वी यूरोप में सुरक्षा मुद्दों को उजागर किया है बल्कि रूस और उसके पड़ोसी देशों के बीच संबंधों को भी नई चुनौती दी है।