रांची : एमएमडीआर एक्ट में यह स्पष्ट प्रावधान है कि खनन पट्टों का आवंटन पारदर्शी नीलामी के जरिये ही की जानी है| इसके अलावा जो खनन पट्टे ऑपरेशन शुरू न होने के कारण रद्द या सरेंडर होते हैं, उन्हें भी नीलामी के जरिये ही दुबारा आवंटित किया जाना है| राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को यह जानकारी दी|
सांसद महेश पोद्दार ने कहा कि भारत सरकार के मंत्री द्वारा सदन में दिये गए उत्तर से यह स्पष्ट है कि नॉमिनेशन के आधार पर खनन पट्टों का हुआ आवंटन पूर्णतः गलत था और अब भी यदि ऐसी कोई कोशिश होती है तो वह अवैध ही होगी|
मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अपने उत्तर में कहा है कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 (एमएमडीआर अधिनियम) में प्रावधान है कि खनन पट्टे (माइनिंग लीज,एमएल) और संयुक्त लाईसेंस (कम्पोजित लाईसेंस,सीएल) नीलामी की पारदर्शी और गैर – विवेकाधीन पद्धति के माध्यम से प्रदान किये जायेंगे|
हालांकि, एमएमडीआर अधिनियम की धारा 17 क में प्रावधान है कि केंद्र सरकार या राज्य सरकार प्रोस्पेक्टिंग या माइनिंग ऑपरेशन के लिए किसी सरकारी कम्पनी या निगम के माध्यम से किसी क्षेत्र को आरक्षित कर सकती है| इसके अतिरिक्त, आणविक खनिजों के लिए, जहां ऐसे खनिज की श्रेणी सीमा मूल्य के बराबर या इससे अधिक है, वहां एमएल या सीएल को किसी सरकारी कम्पनी या निगम को ही प्रदान किया जायेगा| माइनर मिनरल्स के संबंध में, अधिनियम में राज्य सरकारों को रियायतें प्रदान करने के संबंध में नियम बनाने के अधिकार दिये गए हैं|
मंत्री ने यह भी बताया कि खनिज रियायत नियम, 2016 का नियम 12 क के मुताबिक पट्टों की समाप्ति, निलंबन या सरेंडर के बाद नीलामी के जरिये आवंटित हुए खदानों से न्यूनतम प्रोडक्शन या डिस्पैच नहीं होता है तो उपरोक्त नियमों में दंड लगाने का प्रावधान है, जिसमें पट्टे का निलंबन भी शामिल है| एमएमडीआर अधिनियम के तहत भी पट्टे के निष्पादन के दो वर्षों के भीतर प्रोडक्शन और डिस्पैच (एक वर्ष तक बढ़ायी जा सकती है) न होने पर खनन पट्टा लैप्स हो जायेगा|