उत्तर प्रदेश में जनसंख्या बिल का ड्राफ्ट तैयार कर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। 19 जुलाई तक इस पर लोगों से राय मांगी है। लेकिन इससे पहले भाजपा के तीन सांसदों ने राज्यसभा में प्राइवेट मेंबर बिल के जरिए बढ़ती जनसंख्या पर कठोर कानून बनाने की बात कही है । भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी, हरनाथ सिंह यादव और अनिल अग्रवाल ने यह बिल पेश किया है।
राज्यसभा में पेश बिल में क्या है ?
- ऐसे परिवार के सदस्य को लोकसभा, विधानसभा या पंचायत चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए
- दो से ज्यादा बच्चे वाले परिवार को राज्यसभा, विधान परिषद् और इस तरह की संस्थाओं में निर्वाचित या मनोनित होने से रोका जाना चाहिए
- ऐसे लोग कोई राजनीतिक दल नहीं बना सकते या किसी पार्टी का पदाधिकारी नहीं बन सकते
- प्रदेश सरकार की ए से डी कैटगरी की नौकरी में अप्लाई नहीं कर सकते
- इसी तरह, केंद्र सरकार की कैटगरी ए से डी तक में नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकते
- निजी नौकरियों में भी ए से डी तक की कैटगरी में आवेदन नहीं कर सकते
- ऐसे परिवार को मुफ्त भोजन, मुफ्त बिजली और मुफ्त पानी जैसी सब्सिडी नहीं मिलनी चाहिए
- बैंक या किसी भी अन्य वित्तीय संस्थाओं से लोन नहीं प्राप्त कर सकते
- ऐसे लोगों को इनसेंटिव, स्टाइपेंड या कोई वित्तीय लाभ नहीं मिलना चाहिए
- दो से ज्यादा बच्चों वाले परिवार के लोग कोई संस्था, यूनियन या कॉपरेटिव सोसायटी नहीं बना सकते
- ऐसे लोग न तो किसी पेशे के हकदार होंगे और न ही किसी कामकाज के
- वोट का अधिकार, चुनाव लड़ने का अधिकार और संगठन बनाने का अधिकार नहीं मिलेगा
स्कूलों में जनसंख्या नियंत्रण की पढ़ाई
जनसंख्या नियंत्रण बिल, 2021 के मुताबिक, हर प्रदेश सरकार अपने हिसाब से स्कूलों में जनसंख्या विस्फोट के खतरनाक प्रभाव और जनसंख्या नियंत्रण के फायदों के बारे में बताने के लिए जरूरी विषय पढ़ाने का प्रावधान करेंगे. हर महीने इन स्कूलों में जनसंख्या नियंत्रण से जुड़े लेख प्रतियोगिता और वाद-विवाद आयोजित करने होंगे.
यूपी वाले बिल में क्या है ?
किसी संप्रदाय विशेष में एक से अधिक पत्नी रखने का चलन है. ऐसे में यदि पुरुष की कुल संतानें दो से अधिक हैं तो वह सरकारी योजनाओं से वंचित हो जाएगा. लेकिन अगर पहली, दूसरी, तीसरी और चौथी पत्नियों के पास दो-दो संतान हैं तो उन महिलाओं को सरकारी सुविधाओं का लाभ मिलेगा, क्योंकि उन्होंने बच्चों की संख्या दो तक नियंत्रित कर रखी है. दो से अधिक बच्चों पर सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी.
उन्होंने कहा कि अगर बीपीएल परिवार एक बच्चे के बाद नसबंदी करा लेता है तो उसे एक लाख रुपया एकमुश्त दिया जाएगा. ग्रेजुएशन तक बच्चे की शिक्षा चिकित्सा राज्य सरकार करेगी. मेडिकल या इंजीनियरिंग जैसे कोर्सेस में दाखिले के दौरान वरीयता दी जाएगी. एक बच्चे वाले को और अधिक प्रोत्साहन मिले इसके लिए व्यवस्था की गई है.