नई दिल्ली, 17 जुलाई 2025 | ईटीवी भारत रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधीन कार्यरत केंद्रीय दत्तक संसाधन प्राधिकरण (CARA) के माध्यम से सभी राज्य दत्तक संसाधन एजेंसियों (SARAs) को निर्देशित किया है कि वे दत्तक प्रक्रिया में परामर्श सेवाओं को सशक्त करें और उसे एक संरचित प्रणाली के रूप में लागू करें।
🔖 यह आदेश किस कानून के तहत जारी हुआ है?
यह निर्देश बाल न्याय (बालों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 70(1)(a) के अंतर्गत और दत्तक विनियम, 2022 के अनुसार जारी किए गए हैं।
🧠 परामर्श सेवाओं की भूमिका
CARA ने स्पष्ट किया कि परामर्श (Counselling) दत्तक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो:
-
भावनात्मक तैयारी,
-
सुचारु स्थानांतरण (transition),
-
और दीर्घकालिक कल्याण सुनिश्चित करता है।
👨👩👧👦 किन्हें परामर्श मिलेगा?
-
दत्तक ग्रहण करने वाले माता-पिता (PAPs):
-
पूर्व-दत्तक परामर्श अनिवार्य, विशेष रूप से होम स्टडी रिपोर्ट (HSR) के दौरान (नियम 10(7))।
-
-
बड़े बच्चे (Older Children):
-
उन्हें पूर्व-दत्तक और दत्तक के समय परामर्श समर्थन देना अनिवार्य है (नियम 30(4)(c))।
-
-
दत्तक लेने के बाद की परिस्थितियाँ:
-
यदि कोई बच्चा अपनी जड़ों की खोज (Root Search) करता है,
-
परिवार में समायोजन न हो रहा हो,
-
या दत्तक प्रक्रिया में विघटन/विच्छेदन हो रहा हो — तब भी परामर्श आवश्यक है (नियम 30(4)(e), 14(4), 14(6)(b), और 21(6))।
-
-
जैविक माता-पिता (Biological Parents):
-
जिन्हें यह जानकारी देना अनिवार्य है कि 60 दिनों के बाद उनका निर्णय वैधानिक रूप से अंतिम हो जाएगा।
-
और बच्चे को भविष्य में अपनी जड़ों की खोज का अधिकार होगा (नियम 7(11), 30(2)(c))।
-
🧑⚕️ परामर्शदाता कौन होंगे?
SARAs को निर्देश दिए गए हैं कि वे राज्य और ज़िला स्तर पर प्रशिक्षित परामर्शदाता (Counsellors) नियुक्त करें या सूचीबद्ध करें। ये विशेषज्ञ बाल मनोविज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य या सामाजिक कार्य पृष्ठभूमि से होने चाहिए।
📝 रिकॉर्डिंग और निगरानी:
सभी परामर्श सत्रों और मनो-सामाजिक हस्तक्षेपों को प्रलेखित (Documented) करना अनिवार्य होगा — ताकि पारदर्शिता बनी रहे और देखभाल में निरंतरता सुनिश्चित की जा सके।
🎯 केंद्र का उद्देश्य:
CARA ने स्पष्ट किया है कि परामर्श केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि यह बच्चे के सर्वोत्तम हितों की रक्षा और स्थायी व सफल दत्तक प्रक्रिया सुनिश्चित करने का सशक्त माध्यम है।
सरकार का लक्ष्य है कि हर बच्चे को एक सुरक्षित, स्नेहमयी और स्थायी पारिवारिक माहौल मिल सके।