एडीजी अनुराग गुप्ता मामले में हाइकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई । दरअसल अनुराग गुप्ता ने हाइकोर्ट में अपील दायर करते हुए कहा था कि उनके निलंबन को एक साल होने जा रहा है। इसके अलावा उनके मामले में एफआईआर भी काफी देर से दायर की गई। लिहाजा उनका निलंबन रद्द किया जाए । इसपर हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। राज्य सरकार को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने है ।
क्या है पूरा मामला ?
साल 2016 में झारखंड में रघुवर दास की सरकार थी। इसी दौरान राज्यसभा चुनाव हुए । आरोप है कि उस राज्यसभा चुनाव के दौरान हॉर्स ट्रेडिंग की कोशिश की गई । तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता, रघुवर दास के मीडिया सलाहकार अजय कुमार और खुद रघुवर दास ने विपक्षी विधायकों से खरीद-फरोख्त की कोशिश की। इस दौरानबड़कागांव से कांग्रेस के तत्कालीन विधायक योगेन्द्र साव ने स्टिंग की सीडी भी जारी की थी। उसी आधार पर रांची के जगन्नाथपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई । बाद में झारखंड की सत्ता बदलने के बाद हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने। उन्होने अनुराग गुप्ता को सस्पेंड कर दिया।
हाइकोर्ट में क्या हुआ ?
जस्टिस आनंदा सेन की अदालत में सुनवाई के दौरान अनुराग गुप्ता की ओर से अदालत को बताय़ा गया है कि इस मामले में उनके खिलाफ प्राथमिकी काफी देर से दर्ज की गई है । उन्होंने बताया कि उनके निलंबन को भी लगभग एक साल होने वाला है । उन्हें इस वाद में राहत दी जाए । जस्टिस आनंदा सेन की अदालत ने कहा कि यह जमानतदार मामला है । वादी भी पुलिस बेल पर है । ऐसे में अंतरिम राहत की कोई जरूरत नहीं है ।