रांची । केंद्र सरकार ने झारखंड के 100 गांवों का चयन आदर्श ग्राम बनाने के लिए किया था । साल 2014-15 में इस योजना की शुरुआत हुई थी । इसके तहत लक्ष्य रखा गया था कि 15 अगस्त 2022 तक झारखंड के 100 गांवों की तस्वीर बदल दी जाएगी । उन गांवों का कायाकल्प होगा । योजना के अंतर्गत 100 अनुसूचित जाति बहुल गांवों का चयन हुआ था । पर आज सात साल बीत जाने के बाद भी राज्य में एक भी आदर्श ग्राम बनकर तैयार नहीं हुआ है ।
केन्द्रीय गृहसचिव ने राज्य के मुख्य सचिव को लिखी चिट्ठी
कार्य में प्रगति नहीं होता देख केंद्रीय सचिव ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिये हैं। उन्होने जल्द ही कार्य को पूरा करने के लिए कहा है । झारखंड में जिन भी गांवों का चयन आदर्श ग्राम के लिए हुआ है, वहां जमीनी कोई भी कार्य नहीं हुआ है । जबकि इनमें वो गांव भी शामिल हैं जिनका चयन फेज एक के दौरान 2014-15 में हुआ था ।
रघुवर सरकार के दौरान नहीं हुआ कोई काम
2014 से लेकर 2019 तक केंद्र और झारखंड में दोनों ही जगहों पर भाजपा की सरकार रही । इसके बावजूद राज्य में केंद्र की आदर्श ग्राम योजना को लेकर काम नहीं हुआ । इससे तो यही पता चलता है कि राज्य में रघुवर दास की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार में भी योजना पर काम नहीं हुआ । अब पिछले डेढ़ साल से राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है । ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर कैसे 15 अगस्त 2022 को इन गांवों को आदर्श ग्राम के तौर पर सम्मानित किया जाएगा ।
हर गांव के विकास के लिए दिए गये थे 20-20 करोड़ रुपये
प्रत्येक चयनित गांव को विकास के लिए 20 से 21 करोड़ रुपये दिये गये थे । इसके अलावा राज्य सरकार की तऱफ से भी पांच करोड़ रुपये की राशि दी गयी थी । इन गांवों में मनरेगा, पीएम आवास, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, पेयजल आपूर्ति समेत अन्य योजनाओं का क्रियान्वयन प्राथमिकता के आधार पर करना था । इन कार्यों के जरिए इन गांवों में रोजगार सृजन करने का भी लक्ष्य रखा गया था । झारंखड में धीमी गति से हो रहे कार्य पर केंद्र ने नाराजगी जतायी है । इसके बाद केंद्रीय सचिव आर सुब्रह्मन्यम ने झारखंड के मुख्य सचिव को पत्र लिखा है ।