उज्ज्वल दुनिया/दुमका । झारखंड हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित हाई स्कूल के शिक्षकों ने बुधवार को लगातार दूसरे दिन दुमका के आउटडोर स्टेडियम में बैठक की। सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले हाई स्कूल शिक्षक झारखंड सरकार से मिल कर अपनी नौकरी बरकरार रखने के लिए रास्ता निकालने का अनुरोध करेंगे।
मानवता के नाते हमें इंसाफ मिले
बता दें कि झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्ववर्ती सरकार द्वारा लागू नियोजन नीति को रद्द कर 13 अनुसूचित जिलों में स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए शत प्रतिशत आरक्षण को अवैध बताते हुए हाई स्कूल शिक्षकों की नियुक्ति रद्द करने का आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रभावित शिक्षकों के बीच हताशा है। बुधवार को दुमका के आउटडोर स्टेडियम में जुटे कई शिक्षकों ने कहा कि हमलोग हाईकोर्ट के इस फैसले से इतने हताश हैं कि आत्महत्या तक करने का मन कर रहा है। शिक्षका हसनीला हेम्ब्रम ने कहा कि मन करता है कि हाईकोर्ट के बाहर आत्महत्या कर लें। मानवता के नाते हमलोगों को न्याय मिलना चाहिए।
घर-घर में मातम छाया है
हाई स्कूल शिक्षका हसनीला हेम्ब्रम ने कहा कि घर-घर में मातम छाया है। माता-पिता की हमलोगों से काफी उम्मीदें थीं। कई लोग दूसरी नौकरी छोड़ कर शिक्षक बने थे। लोन लेकर पढ़ाई की थी।
छात्र नियमावली बनाएंगे क्या
अर्थशास्त्र के शिक्षक ललित नारायण मंडल ने भी कहा कि हमलोग रात में सो नहीं पा रहे हैं। हमारे कई साथी आत्महत्या करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि छात्र नियमावली बनाएंगे क्या। जो गलत किया उसे सजा देने के बजाए हम छात्रों को सजा दी जा रही है। हमलोगों को न्याय मिलनी चाहिए।
12 साल पुरानी नौकरी छोड़ शिक्षिका बनी थी
शिक्षिका रीता रानी ने कहा कि 12 साल पुरानी नौकरी छोड़ शिक्षिका बनी थी। शिक्षक बनना मेरा जुनून था। इस कारण एक नौकरी छोड़ कर इस पेशा में आई। दो साल के दौरान ईमानदारी से काम किया। यह बच्चों के रिजल्ट से पता चलता है। अब अचानक हमलोगों को सड़क पर ला दिया गया। अब हमलोग कहां जाएं। कभी-कभी तो लगता है कि हमलोगों का झारखंड में जन्म लेना ही गलती थी।