रेलवे, डाक, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (AAI), प्रमुख बंदरगाह ट्रस्ट और विकास के उद्देश्य से वाणिज्यिक गतिविधियों में लगी इकाइयों को निजीकरण के लिए घोषित नई नीति के दायरे में नहीं लाया जाएगा। पीएसयू निजीकरण नीति के मुताबिक नियामकीय प्राधिकरणों, स्वायत्त संगठनों, ट्रस्ट और विकास वित्त संस्थानों को भी निजीकरण की इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा। ये बातें केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कही ।
निजीकरण के लिए रणनीतिक और गैर-रणनीतिक में बंटवारा
दरअसल इस नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को रणनीतिक एवं गैर-रणनीतिक में विभाजित किया गया है। रणनीतिक पीएसयू में नाभिकीय ऊर्जा, रक्षा एवं अंतरिक्ष, परिवहन एवं दूरसंचार, ऊर्जा, पेट्रोलियम, कोयला एवं अन्य खनिज, बैंकिंग, बीमा एवं वित्तीय सेवा से जुड़े उपक्रम शामिल हैं।
रणनीतिक क्षेत्रों में मौजूदा सार्वजनिक वाणिज्यिक इकाइयों का होल्डिंग कंपनी के स्तर पर यथासंभव न्यूनतम मौजूदगी सरकारी नियंत्रण के तहत बनाई रखी जाएगी। बाकी हिस्सेदारी का निजीकरण करने या दूसरे सरकारी उपक्रमों के साथ विलय या अनुषंगी बनाने या फिर उन्हें बंद करने के बारे में गौर किया जाएगा।
वहीं गैर-रणनीतिक क्षेत्रों में सक्रिय पीएसयू के निजीकरण के बारे में व्यवहार्य होने पर ही सोचा जाएगा, अन्यथा उन्हें बंद करने के बारे में सोचा जाएगा।
भारतीय खाद्य निगम का भी निजीकरण नहीं
उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) जैसे पीएसयू संसद द्वारा पारित अधिनियमों के जरिये बनाए गए है । जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित उपक्रम सिक्योरिटी प्रिंटिंग ऐंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और तमाम प्रोत्साहन कार्यों के लिए गठित नॉट फॉर प्रॉफिट कंपनियों के भी निजीकरण को अपवाद के तौर पर ही देखा जाएगा।
किसानों को बीज एवं अन्य तरह की मदद मुहैया कराने वाले सार्वजनिक उपक्रमों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यकों और अन्य पिछड़ा वर्गों को वित्तीय समर्थन देने में जुटी इकाइयों को भी पीएसयू निजीकरण के दायरे से बाहर ही रखने का फैसला किया गया है ।