Friday, March 29, 2024
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रांची में शुरु होगी तीन कोच वाली मेट्रो, रबड़ के टायर के साथ सड़क पर दौड़ेगी

नियो मेट्रो को चलाने के लिए अलग से पटरी और स्टेशन बनाने का खर्च नहीं

राजधानी रांची में सफर के लिए मेट्रो ट्रेन की तहर मेट्रो नियो की सुविधा उपलब्ध होगी। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने राज्य सरकार से इसके लिए प्रस्ताव मांगा है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट की दिशा में वृहद तरीके से काम करने की जरूरत है। इसके लिए केंद्र सरकार शीघ्र ही कई योजनाएं शुरू करने जा रही है। झारखंड भी इन योजनाओं का लाभ उठाए। वे शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन में नगर विकास विभाग के अधिकारियों के साथ केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। 

रांची, धनबाद और जमशेदपुर के लिए सिटी बस योजना

इस मौके पर नगर विकास सचिव विनय चौबे ने कहा कि जल्द ही रांची के लिए मेट्रो-नियो प्रोजेक्ट का प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। इसके अलावा रांची, धनबाद और जमशेदपुर में सिटी बस की योजना तैयार हो रही है। बैठक में केंद्रीय सचिव के अलावा संयुक्त सचिव अमृत अभिजात, नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे, नगर आयुक्त रांची मुकेश कुमार, सूडा निदेशक अमित कुमार, डीएमए निदेशक विजया जाधव और विभागीय पदाधिकारी उपस्थित थे।

क्या है मेट्रो नियो

केंद्र सरकार के नए बजट में बड़े शहरों में मेट्रो की तर्ज पर छोटे शहरों में मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट शुरू करने की व्यवस्था है। मेट्रो के मुकाबले ये आधे से भी कम खर्च में बनेंगे। ये छोटे शहरों में होने वाली ट्रैफिक की समस्या को काफी हद तक दूर कर सकते हैं। रबर की टायर पर चलने वाली तीन कोच वाली इस मेट्रो के स्टेशन परिसर के लिए बड़े जगह की जरूरत नहीं होती है। यह सड़क की सतह पर भी चल सकती है। इसमें यात्रियों के बैठने की क्षमता सामान्य मेट्रो से कम होगी। इसके हर कोच में 200-300 लोग सफर कर सकते हैं। इसका मतलब यह कि मेट्रो नियो में एक साथ 700 से 800 लोग सफर कर सकते हैं। इसके लिए सड़क से अलग एक डेडिकेटेड कॉरिडोर तैयार किया जाएगा। इस मेट्रो सिस्टम से छोटे शहर के लोगों को भी सड़क के जाम से निजात मिलेगी।

कम लागत में शुरू हो जाती है नियो मेट्रो

केंद्र सरकार का मानना है कि इससे छोटे शहरों की परिवहन व्यवस्था भी सुधरेगी। इसको बनाने में खर्च काफी कम आता है। अभी एक एलिवेटेड मेट्रो को बनाने में प्रति किलोमीटर का खर्च 300-350 करोड़ रुपये आता है। अंडरग्राउंड में यही लागत 600-800 करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है। जबकि एक मेट्रो नियो या मेट्रो लाइट के लिए 200 करोड़ तक का ही खर्च आता है। 


रांची में तीन लाख से अधिक लोगों की आवाजाही

राजधानी रांची की आबादी 15 लाख से अधिक है, लेकिन उसकी तुलना में न सड़कें हैं और न पब्लिक ट्रांस्पोर्ट। पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर राजधानी में महज 15 से 20 सिटी बसें ही चलती हैं, जबकि आंकड़ों के मुताबिक रांची में रोजाना तीन लाख से अधिक लोग एक  से दूसरे जगह आनाजाना करते हैं। जो डीजल ऑटो या निजी वाहनों में सफर करते हैं। शहर में रोजाना 30 हजार से अधिक ऑटो का परिचालन होता है। इसके अलावा लोग अपने वाहन से आना जाना करते हैं। इसका बुरा असर शहर के ट्रैफिक पर पड़ता है। सुबह नौ बजे से लेकर रात के आठ बजे तक शहर की मुख्य सड़कों पर लंबा जाम लगा रहता है। ऐसे में सरकार जबतक पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर नहीं करेगी, रांची को जाम से मुक्ति नहीं मिलेगी।

केंद्रीय सचिव ने कहा कि मिशन द्वारा संचालित योजनाओं में झारखंड देश के अग्रणी राज्यों में हमेशा से रहा है। नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने राज्य में शहरी जरूरतों, निकायों की संख्या और विकास योजनाओं की प्रगति पर चर्चा की। कहा कि हम लगातार सभी योजनाओं की क्लोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं। हमारी कोशिश है कि निकाय स्तर से लेकर सरकार के स्तर तक योजनाओं के क्रियान्वयन में कोई विलंब न हो।

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