उज्ज्वल दुनिया
रांची । केंद्रीय मानवाधिकार के निर्देश पर झारखंड सरकार ने पत्रकारों पर पुलिस की ओर से की गई 15 नवंबर दो हजार अट्ठारह को लाठीचार्ज को लेकर कार्यवाही प्रारंभ की गई है रांची के प्रमंडलीय आयुक्त को इसकी जांच का जिम्मा मिला है । मुखर संवाद के राजनीतिक संवाददाता अशोक कुमार गोप ने अपनी गवाही दी है
15 नवंबर 2018 को राज्य स्थापना दिवस के मौके पर पारा शिक्षकों को लाठीचार्ज के समय समाचार को कवरेज कर रहे पत्रकारों को बेरहमी से पीटा गया था जिसमें कई पत्रकारों को गंभीर रूप से चोटें आई थी और कई पत्रकार घायल हुए थे । अशोक कुमार को अपने केंद्रीय मानवाधिकार के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्रकारों के साथ इस बर्बर घटना की शिकायत की गई थी । देर से ही सही लेकिन केंद्रीय मानवाधिकार के निर्देश पर प्रमंडलीय आयुक्त कमल जॉन लकरा ने सुनवाई प्रारंभ की जिसमें अशोक कुमार गोप ने अपनी गवाही देते हुए कहा है कि राज्य स्थापना दिवस के मौके पर दो हजार अट्ठारह में पारा शिक्षकों को लाठियों से पीटा जा रहा था ।
उस खबर को कवर करने गए पत्रकारों के ऊपर भी पुलिस ने लाठियों और हथियारों के बट से गंभीर रूप से पिटाई की जिसमें कई पत्रकार घायल हो गए और कईयों को हॉस्पिटल भी भर्ती करना पड़ा । न्यायालय के समक्ष अशोक कुमार गोप ने अपनी गवाही देते हुए कहा है कि पुलिस की मंशा पारा शिक्षकों को पीटने के साथ ही इस खबर को मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित होने से रोकने की थी । इस कारण से पत्रकारों को खींच खींच कर पीटा गया और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया । अशोक कुमार गोप ने इस घटना की वीडियो और फोटो भी न्यायालय को उपलब्ध कराई है जिससे यह स्पष्ट होता है कि घटना में पुलिस कर्मियों ने पत्रकारों को निशाना बनाने की मंशा से गंभीर रूप से लाठियों से पीटा । दरअसल पुलिस की ओर से या प्रयास किया गया कि पत्रकार अपने सामाजिक और कर्तव्य का निर्वाह न कर सके और यह खबर झारखंड सहित पूरे देश की जनता के बीच प्रचारित और प्रसारित न हो सके ।
मानवाधिकार आयोग की ओर से कई ऐसे मसले आए हैं जिसमें पुलिस के अधिकारियों को दंडित किया गया है और पीड़ितों को मुआवजे की राशि देने की भी प्रावधान किया गया है जो भी पीड़ित व्यक्ति हैं वह कल यानी 15 सितंबर को अपनी गवाही प्रमंडलीय आयुक्त के न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं अशोक कुमार गोप ने इस घटना के कई अहम सबूत और दस्तावेज भी न्यायालय को उपलब्ध कराएं हैं जिससे यह साबित हो जाएगा की घटना के दिन पुलिस की मंशा सही नहीं थी और पत्रकारों को काफी नुकसान पहुंचाया गया ।