ये महज संयोग है कि भारत की सत्ता पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है जिसका चुनाव चिह्न ‘कमल’ है, तो अमेरिका की उपराष्ट्रपति भारतीय मूल की ‘कमला‘ हैरिस हैं । लेकिन य इत्तिफाक नहीं कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, दोनों ने अपने संबोधन में भारत का नाम लिया और दोनों ने भारत को अमेरिका का स्वभाविक मित्र बताया है ।
कमला हैरिस की जड़ें भारत में हैं, लेकिन क्या वे भारत के साथ दोस्ती की उतनी ही इच्छुक हैं, जितना की भारत चाहता है ? भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी कमला हैरिस को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं हैं । सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि जो बाइडन के शासनकाल में भारत और इस इलाके से जुड़े सभी मसलों को कमला हैरिस ही देखेंगी । बाइडन सरकार के लिए दक्षिण एशिया की आंख और कान कमला हैरिस होंगी , लेकिन कमला हैरिस भाजपा की विचारधारा को पसंद नहीं करतीं । वे कश्मीर में धारा 370 हटाने को लेकर मोदी सरकार की आलोचना कर चुकी हैं और वे भाजपा के हिंदु राष्ट्रवाद को हिटलर के नाजी विचारधारा की तरह मानती हैं ।
एक और बात जो बाइडन प्रशासन और भारत की मोदी सरकार के बीच आएगा वो है ट्रंप के साथ मोदी का “हाउडी मोडी” कार्यक्रम । जानकर बताते हैं कि वो कूटनीति से आगे बढ़कर एक तरह से ट्रंप के चुनाव प्रचार की शुरुआत जैसी थी । मोदी का ट्रंप के हाथों में हाथ डालकर स्टेडियम के चक्कर लगाना बाइडन और हैरिस को तो अच्छा नहीं ही लगा होगा ।
लेकिन ऐसा नहीं है कि बाइडन-हैरिस के साथ भारत के संबंधों में सकारात्मक कुछ भी नहीं । डेमोक्रेटिक पार्टी हमेशा से भारत की पक्षधर रही है । बराक ओबामा के साथ मोदी के संबंध बेहद अच्छे रहे थे। बाइडन उस सरकार में मंत्री थे, उन्हे मोदी के साथ काम करने का अनुभव भी है ।
सबसे महत्वपूर्ण बात कि अंतरराष्ट्रीय संबंध एक-दूसरे की जरुरत पर टिके होते हैं । किसी की भी सरकार आए, अमेरिका को इस वक़्त भारत की जरुरत है । चीन के साथ तनातनी के बीच भारत भी चाहेगा कि अमेरिका खुलकर भारत का समर्थन करे ।