पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में उस वक्त अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो गई जब किसानों की पंचायत में समझाने गए संजीव बालियान के समर्थक और किसान आपस में भिड़ गए । दोनों ओर से लाठी-डंडों से हमला किया गया । कई भाजपा समर्थक और किसान दोनों इस हिंसक झड़प में घायल हो गए । पूरे इलाके में तनाव है। सीआरपीएफ की कंपनी की तैनाती कर दी गई है ।
संजीव बालियान के विरोध के बाद शुरु हुआ झगड़ा
दरअसल मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में किसानों की चौपाल लगी थी । केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान चौपाल में लोगों को कृषि कानूनों के फायदे समझाने पहुंचे। इतने में कुछ किसानों ने संजीव बालियान का विरोध किया। भाजपा समर्थकों ने संजीव बालियान का विरोध कर रहे लोगों को चौधरी अजीत सिंह का गुंडा बोल दिया। इसके बाद दोनों ओर के लोग एक-दूसरे पर हमलावर हो गए ।
RLD समर्थकों ने किसानों से बात करने से रोका- संजीव बालियान
इस झड़प के बाद संजीव बालियान ने आरोप लगाया कि चौधरी अजीत सिंह के समर्थक किसानों को उकसा रहे हैं। उन्हें भाजपा वालों को गांव में न घुसने देने का फरमान सुना रहे हैं। हमें भी किसानों के बीच अपनी बात रखने का अधिकार है ? वहीं, भाजपा समर्थकों ने कहा कि किसान आंदोलन के बहाने जाट और मुसलमान एकता की बात करने वाले जाटों के आपसी भाईचारे को तोड़ना चाहते हैं।
चौधरी अजीत सिंह ने बागपत में बुलाई महापंचायत
किसानों पर हुए हमले के विरोध में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह ने बागपत में किसान महापंचायत बुलाी है । उन्होने कहा कि अब पश्चिमी यूपी के भाजपा का सफाया तय है। किसान भाजपा के कार्यकर्ताओं को गांव में घुसने नहीं दे रहे। अपना सामाजिक बहिष्कार होते देख भाजपा कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं और वे अब किसानों के साथ गुंडागर्दी पर उतारू हो गए हैं।
क्या है आपसी झगड़े की राजनीतिक वजह ?
दरअसल मुजफ्फरनगर दंगों के बाद हिंदू और मुस्लिम समाज में दरार का सबसे ज्यादा नुकसान अजीत सिंह और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को हुआ। कभी पश्चिमी उत्त्र प्रदेश के जाटलैंड पर दबदबा रखने वाले अजीत सिंह खुद भी चुनाव हार गए। जाट वोटरों का एक बड़ा तबका हिंदुत्व के नाम पर भाजपा की ओर शिफ्ट हो गया। वहीं, मुसलमान समाजवादी पार्टी और बसपा की ओर मुड़ गए। किसान आंदोलन के बहाने चौधरी अजीत सिंह और जयंत चौधरी दोबारा अपनी खोई राजनीतिक जमीन पाने की कोशश में जुटे हैं।