नैनीताल । नैनीताल हाईकोर्ट से शुक्रवार को बाबा रामदेव को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस से निजात दिलाने की दवा कोरोनिल को लांच किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।हाईकोर्ट े याचिकाकर्ता को एक सप्ताह के भीतर एडवोकेट वेलफेयर फंड में 25 हजार रुपये जमा करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका को वापस लेने का आग्रह किया। मगर कोर्ट का अमूल्य समय खराब करने पर याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाया। कोर्ट ने यह भी कहा कि गलत तथ्य पेश करने पर समाज मे इसका गलत प्रभाव पड़ता है।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि कुमार मलिमथ एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई।
मामले के अनुसार हाईकोर्ट के अधिवक्ता मनि कुमार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि बाबा रामदेव व उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने हरिद्वार में कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए पतंजलि योगपीठ के दिव्य फॉर्मेसी कंपनी द्वारा निर्मित कोरोनिल दवा को लांच किया। याचिकाकर्ता का कहना था कि बाबा रामदेव कि दवा कंपनी ने आईसीएमआर द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन नही किया। आयुष मंत्रालय भारत सरकार की अनुमति नही ली। आयुष विभाग उत्तराखंड से कोरोना की दवा बनाने के लिए आवेदन नही किया। जो आवेदन किया था वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया गया था। उसकी आड़ में बाबा रामदेव ने कोरोनिल दवा का निर्माण किया। कंपनी द्वारा निम्स विश्विद्यालय राजस्थान द्वारा दवा का परीक्षण होना बताया गया, जबकि निम्स का कहना है कि उन्होंने ऐसी किसी भी दवा का क्लीनिकल परीक्षण नही किया। याचिकाकर्ता ने दवा को इन चार बिंदुओं के आधार पर चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि बाबा लोगों मे अपनी इस दवा का भ्रामक प्रचार प्रसार कर रहे हैं। ये दवा न ही आईसीएमआर से प्रमाणित है और न ही इनके पास इसे बनाने का लाइसेंस है। इस दवा का अभी तक क्लीनिकल परीक्षण तक नही किया गया इसके उपयोग से शरीर मे क्या साइड इफैक्ट होंगे, इसका कोई इतिहास नहीं है इसलिए दवा पर पूर्ण रोक लगाई जाए।