राजीव मिश्र (हिन्दुस्तान समाचार)
पटना, 26 सितंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक, राष्ट्रीय चिंतक और विचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि पत्रकारिता का मौजूदा स्वरूप मालिक के संपादक बनने की वजह है। टीवी पत्रकारिता में कंटेंट का अभाव और आवाज पर जोर है। इससे उसकी विश्वसनीयता कमजोर हुई है। लेकिन, आज भी प्रिंट मीडिया की विश्वसनीयता ज्यादा है और उसे बनाये रखने की जरूरत है।
प्रतियोगिता के दौर में आपाधापी बढ़ी है। इससे तथ्य कमजोर हो गये हैं या कह सकते हैं गुम हो गये हैं। उन्होंने कहा कि भावना से शहीद हुआ जा सकता है, पर विजयी नहीं। विजयी होने के लिए संयम और धैर्य की जरूरत है और यह हर क्षेत्र में लागू होता है। शुक्रवार की शाम वे हिन्दुस्थान समाचार के दफ्तर में अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे।
अपने अध्ययन अवकाश के 20 साल पूरा होने पर गंगा किनारे अध्ययन यात्रा पर निकले राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक, राष्ट्रीय चिंतक और विचारक केएन गोविंदाचार्य बक्सर, आरा होते हुए पटना पहुंचे। उन्होंने बताया कि अध्ययन यात्रा पर निकलने का उद्देश्य 20 वर्ष पूर्व की गई यात्रा के परिपेक्ष्य में वर्तमान समय को देखना और दर्ज करना है। पटना से मुंगेर, भागलपुर, साहेबगंज, फरक्का होते हुए उनकी यात्रा संपन्न होगी।
गोविंदाचार्य ने कहा कि संस्कार से देश का विकास होगा। बिना संस्कारों के भारत का निर्माण नहीं कर सकते हैं। गंगा जी और गौमाता की चिंता किए बगैर स्वदेशी विकास संभव नहीं है। यहां की परंपरा और कृषि को मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि नक्सली, वामपंथी जैसी ताकतें नये सिरे से एकजुट होने का प्रयास कर रही हैं और देश को अस्थिर करने के फिराक में हैं।
तीन तलाक, अनुच्छेद 370 समाप्त करना नरेंद्र मोदी सरकार के सांस्कृतिक और साहसिक कदम
गोविंदाचार्य ने कहा कि तीन तलाक और अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के अलावा राम मंदिर, नई शिक्षा नीति ये कुछ बड़े काम हुए हैं। इसके बारे में पहले सिर्फ चर्चा हुआ करती थी, लेकिन अब बदलाव हुए हैं। इससे उत्साह है। यह नरेंद्र मोदी सरकार का सांस्कृतिक और साहसिक कदम है। इससे देश का आत्मविश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प अच्छा है।