उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति शुक्रवार को मंजूर कर दी। शुक्रवार को कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिये इस नयी आबकारी नीति को मंजूरी दी गई। पिछले वर्षों की ही तरह अगले वित्तीय वर्ष में लिए भी शराब व बीयर की दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण किया जाएगा। नवीनीकरण की प्रक्रिया में भी कोरोना की वजह से आई दिक्कतों को देखते हुए मौजूदा लाइसेंसी विक्रेताओं के लिए पूर्व में तय मानक भी शिथिल किये गये हैं। नवीनीकरण के बाद जो दुकानें बच जाएंगी उनके लिए लाटरी ड्रा करवाया जाएगा।
पीने के शौकीन लोगों को बगैर मिलावट वाली गुणवत्तापरक और सही दाम पर शराब व बीयर उपलब्ध हो सके इसके लिए अगले वित्तीय वर्ष से दुकानों पर पीओएस मशीनें लगाई जाएंगी। इन मशीनों से शराब व बीयर की बोतलों व केन आदि पर अंकित बार कोड को स्कैन कर यह पता लगाया जा सकेगा कि उक्त शराब व बीयर किस फैक्ट्री की बनी है, बोतल में कब भरी गई और इसका एमआरपी क्या है।
कोरोना संकट की वजह से उपजी वित्तीय विषमताओं को देखते हुए शराब व बीयर के लाइसेंसी विक्रेताओं और पीने के शौकीनों पर ज्यादा वित्तीय बोझ न पड़े इसके लिए लाइसेंस शुल्क व आबकारी शुल्क में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। चालू वित्तीय वर्ष में आबकारी मद से 37,500 करोड़ रुपये की राजस्व वसूली का लक्ष्य तय किया गया था। मगर कोरोना की वजह से इस वित्तीय वर्ष में लगभग 30 हजार करोड़ रुपये का राजस्व बमुश्किल मिलने का आंकलन किया गया है।
प्रयास इस बात के भी किए जाएंगे कि दुकानों पर इन पीओएस मशीनों के साथ प्रिंटर भी उपलब्ध करवाए जाएं ताकि खरीदने वालों को उक्त सारा ब्यौरा मुद्रित पर्ची पर उपलब्ध करवाया जा सके। जहरीली व मिलावटी शराब बनाने व बेचने वालों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई करने और धरपकड़ तेज करने के लिए विभाग की प्रवर्तन मशीनरी को और मजबूत बनाया जाएगा। हाल ही में कैबिनेट में लाये गये एक प्रस्ताव के जरिये बार लाइसेंस की नियमावली तय कर दी गई है। इस नियमावली के आने से मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में गठित होने वाली बार कमेटी का वजूद खत्म कर दिया गया है और अब आबकारी आयुक्त को सीधे बार का लाइसेंस जारी करने का अधिकार मिल गया है। इस फैसले से प्रदेश में और ज्यादा बार खुलने का रास्ता साफ हो गया है।