झारखंड कैबिनेट में बुधवार को दो महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। पहला, झारखंड ने केंद्र और आरबीआई के साथ बिजली खरीद में भुगतान सुरक्षा के लिए 2017 में हुए त्रिपक्षीय समझौते से बाहर निकलने का फैसला लिया। साथ ही पहली बार झारखंड कंबाइंड एग्जामिनेशन रूल्स 2021 को भी मंजूरी दी गई। अब इसके आधार पर जेपीएससी परीक्षाओं का कैलेंडर जारी करेगा और राज्य में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी।
कैबिनेट की बैठक के बाद ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव अविनाश कुमार ने बताया कि ऊर्जा मंत्रालय, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और राज्य सरकार के बीच केंद्रीय ऊर्जा उत्पादन कंपनियों का बकाया भुगतान के लिए पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म के तहत किए गए त्रिपक्षीय समझौता से झारखंड ने बाहर निकलने का निर्णय लिया है। राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं और 15वें वित्त आयोग व संविधान के तहत मिलने वाली राशि से बिजली कंपनियों का बकाया चुकाने के लिए कटौती की गई। इससे राज्य और राज्य के लोगों को संविधान द्वारा प्रदत्त सुविधाए प्रभावित हुईं। सरकार ने इसे एकतरफा पाया। इसलिए इससे बाहर निकलने का निर्णय के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।
झारखंड के आरबीआई खाते से काटे गए 1417 करोड़
त्रिपक्षीय समझौता 2016 में हुआ था। इसी समझौते के तहत केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार को डीवीसी से खरीदी गई बिजली का 5608.32 करोड़ रुपये का बकाया 15 दिन में चुकाने के लिए 11 सितंबर 2020 को नोटिस दिया था। ऊर्जा मंत्रालय ने राज्य सरकार को कहा था कि यदि जेबीवीएनएल ने दिए गए समय में डीवीसी का बकाया भुगतान नहीं किया तो त्रिपक्षीय समझौते की शर्तों के तहत राज्य सरकार के आरबीआई खाते से यह बकाया 1417.50 करोड़ की चार किस्तों में वसूल लिया जाएगा। पहली किस्त अक्तूबर में काट ली गई। जनवरी में दूसरी, तीसरी अप्रैल में और चौथी जुलाई में वसूली जानी थी।
झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज एग्जामिनेशन रूल 2021 मंजूर
झारखंड सरकार ने बुधवार को झारखंड कंबाइंड सिविल सर्विसेज एक्जामिनेशन रूल 2021 को भी मंजूरी दी। अब जेपीएससी इसी नियमावली के तहत आगे की परीक्षाएं आयोजित करेगी। इसी आधार पर कैलेंडर जारी कर परीक्षाएं ली जाएंगी और नियुक्तियां हो सकेंगी। कैबिनेट सचिव सेक्रेटरी अजय कुमार ने बताया राज्य में अब तक 1951 की नियमावली से जेपीएससी की परीक्षाएं होती थीं। समय-समय पर संकल्प निकाल कर संशोधन किया जाता रहा, लेकिन विवाद होते रहे। इसे देखते हुए विकास आयुक्त, वित्त सचिव और कार्मिक सचिव की त्रिस्तरीय समिति ने सुझाव दिए। इसी आधार पर नई नियमावली बनी है।
नई नियमावली के तहत सभी 15 सेवाओं के लिए होने वाली परीक्षा की शैक्षणिक योग्यता और उम्र सीमा समान होगी। अब प्रीलीमिनरी परीक्षाओं में पद से 15 गुना उम्मीदवारों का चयन मुख्य परीक्षा के लिए होगा। अनारक्षित श्रेणी के कट ऑफ मार्क्स से आरक्षित श्रेणी एससी, एसटी, ओबीसी के उम्मीदवारों के लिए कट ऑफ मार्क्स अधिकतम आठ फीसदी ही कम किया जा सकेगा। सर्विस एलोकेशन के मामले अब भी न्यायालयों में हैं। सर्विस एलोकेशन के लिए फाइनल रिजल्ट के बाद अनारक्षित वर्ग के लिए मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी और इसीके आधार पर सेवा वितरण किया जाएगा। यदि इसमें मेरिट के आधार पर ओबीसी, एससी, एसटी के अभ्यर्थी क्वालिफाई कर जाएंगे तो उन्हें अनारक्षित कैटेगरी में रखा जाएगा। यदि अनारक्षित श्रेणी में कोई कैंडिटेड आता है, लेकिन उसे अपनी पसंद का सर्विस नहीं मिलता। यदि वह आरक्षित श्रेणी की सुविधा लेता है और तब उसे पसंद की सेवा मिलती है तो वह अनारक्षित से आरक्षित में माईग्रेट कर जाएगा ताकि उसे सर्विस च्वाइस मिल सके। इसमें अनारक्षित वर्ग के कटऑफ के बराबर या ऊपर अगर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का अंक होगा तो वे अनारक्षित श्रेणी में आ जायेंगे। पर उनको आरक्षित श्रेणी में वापस आने का विकल्प होगा। साक्षात्कार के लिए कुल सीटों के ढाई गुना उम्मीदवारों को बुलाया जायेगा। अंग्रेजी या हिंदी आदि भाषा वाले विषय का अंक केवल क्वालिफाइंग होगा, इसे फाइनल में नहीं जोड़ा जाएगा।
युवाओं से न्याय के लिए नई नियमावली : सीएम
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा कि जेपीएससी की नई नियमावली राज्य के युवाओं के साथ न्याय के लिए बनाई गई है। 1951 के बाद नियमावली में बदलाव किया गया है। युवाओं को इससे लाभ मिलेगा। पूर्व की सरकार में कुछ ऐसे निर्णय हुए हैं जिसका खामियाजा राज्य और जनता को भुगतना पड़ रहा है। लिहाजा सरकार ने पूर्व के दस्तावेज को निरस्त करने का निर्णय लिया है।