उज्ज्वल दुनिया /रांची। झारखंड के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव नेकेंद्र सरकार के निर्देश पर आरबीआई द्वारा डीवीसी की बकाये का एक किस्त 1417 करोड़ रुपये राज्य सरकार के खाते से काट लिये जाने की कार्रवाई को पूरी तरह से गलत और नाजायज बताया है। उन्होंने केंद्र सरकार की इस कार्रवाई को गैर भाजपा शासित राज्यों के साथ सौतेलापूर्ण व्यवहार करार दिया है।
डॉ. उरांव ने कहा कि कोरोना संक्रमणकाल में जब झारखंड जैसा आदिवासी बहुल्य और पिछड़ा राज्य राजस्व संकट से जूझ रहा है,ऐसे संकट के समय सहायता देने की जगह राशि काट लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण काल में केंद्र सरकार की ओर से झारखंड को बकाया जीएसटी का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है, वहीं झारखंड के लोगों को परेशान करने के लिए राशि काट लिया जाना दुःखद है।
वित्तमंत्री ने बताया कि यह त्रिपक्षीय समझौता पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार के समय हुआ था, उस वक्त केंद्र सरकार की ओर से कभी राशि नहीं काटी गयी, जबकि पिछले पांच वर्षां में 5514.99 करोड़ रुपये का बकाया हो गया है, उस वक्त डबल इंजन की सरकार थी, केंद्र औराज्य में भाजपा की सरकार थी, उसी वक्त सख्त कार्रवाई होनी चाहिए थी।
डॉ. उरांव ने बताया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार गठन के गठन के तुरंत बाद 741.77 करोड़ रुपये का भुगतान डीवीसी को किया भी किया गया। लेकिन पिछले महीने ऊर्जा मंत्रालय की ओर राज्य सरकार को पत्र मिला था और राशि काटने की बात कही गयी थी। उस वक्त भी राज्य सरकार की ओर से यह भरोसा दिलाया गया था कि इस तरह से राशि नहीं काटे।
डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार बकाया जीएसटी भुगतान देने में असमर्थता जताते हुए कहती है कि अभी भुगतान करने में वह असमर्थ है और कर्ज लेने की बात कही है, वहीं झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्यों के खाते से इतनी बड़ी राशि काट ली जाती है। उन्होंने कहा कि इससे विकास कार्य, विभिन्न योजनाओं की कार्य प्रगति और रोजगार सृजन के काम में भी बाधा उत्पन्न होगी।
वित्तमंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार का कोरोना काल में राजस्व संग्रहण कम हुआ है,वहीं एक ओर जीएसटी का बकाया भुगतान केंद्र की ओर से नहीं किया जा रहा है,जबकि मनमाने तरीके से 1417करोड़ रुपये की राशि भी काट ली गयी है, इससे झारखंड का विकास कार्य प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि इस जनविरोधी निर्णय के खिलाफ बैठक के बाद आगे निर्णय लिया जाएगा।