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भूमाफिया व सीओ की मिली भगत से जमीन का हुआ म्युटेशन
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रंगदारी-धोखाधड़ी के मुकदमे के बाद फर्जी पेपर बनाने का हुआ खेल
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हजारीबाग। जिले के पतरातू बस्ती स्थित बीएसफ जवान डालेश्वर कुमार के जिस नवनिर्मित भवन में हमला कर उसके पिता और ससुर को हमलवारों ने सर पर गंभीर चोटें और पैर तोड़ दिया उसके बाद पुलिस विभाग के साथ बीएसफ के कमांडेंट ने भी मामले पर संज्ञान लिया है। हमलवारों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी बीच भूमाफियाओं के एक गहरी साजिश का भी पता चला है। जिससे भूमाफियाओं के साथ नेताओं और सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से कैसे भूमाफिया काम करते हैं उसका भी खुलासा हुआ है। इसमें पुलिस की भूमिका और संलिप्तता भी उजागर होती है।
भूमाफियों के जमीन हड़पने के हथकंडे सफल नहीं हुआ तो किया हमला
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इसको समझने के लिए शुरुवात दामोदर प्रसाद से करते हैं जो उक्त जमीन को 2011 में धनबाद के अलोका रानी से खरीद कर वर्तमान में दखल कब्जा कर मालिक हैं।जिसका म्यूटेशन और लगान रसीद भी कट रहा है। दामोदर प्रसाद से पंडल गोप ने फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी कर एग्रीमेंट कर 28 डिसमिल जमीन बिकवा दिया। उसी दामोदर प्रसाद से बीएसफ जवान ने भी चार डिसमिल जमीन खरीदा था और घर बना रहा था। पंडल गोप के फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी की पुलिस जांच के बाद कोर्रा टीओपी में 10 सितंबर 2020 को ठगी और रंगदारी का मामला डीजीपी के निर्देश पर दर्ज किया गया। जिसका कांड संख्या 146/20 है।
इसके बाद भूमाफियाओं ने नई तरकीब अपनाते हुए पचास साल पहले जमीन बेच चुके दो भाइयों के एक अन्य भाई हुरहुरू मुहल्ले के शोभनाथ पांडेय से 23.33 डिसमील जमीन अश्विनी कुमार नामक व्यक्ति ने पावर एग्रीमेंट करवा लिया।अश्विनी कुमार ने संदीप कुमार राणा और संदीप सौरव लावालौंग चतरा को बेच दिया। संदीप कुमार राणा ने 12 सितंबर को सदर अंचल में म्यूटेशन का आवेदन कर रसीद कटवा लिया। उसी एग्रीमेंट और रसीद के सहारे पहले जमीन पर काम बंद करवाने के लिए एसडीओ से 144 का नोटिस करवा लिया। एसडीओ कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद जमीन के दावे को खारिज कर दिया और 144 नहीं लगाया। उसके बाद बौखलाए भूमाफियों ने बीएसफ जवान के नवनिर्मित घर पर हमला बोल दहशत फैलाने की कोशिश इसलिए किया ताकि डर से लोग जमीन छोड़ भाग जाए और वे जमीन को कब्जा कर बेच सके।
जांच हुई तो होंगे कई बेनकाब, फंसेंगे कई सफेदपोश
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उक्त जमीन प्रकरण की जांच हुई तो कई ऐसे चेहरे बेनकाब होंगे जो बीएसएफ जवान के घर हमला करने में पर्दे के पीछे से सहयोग कर रहे थे और फर्जी हथकंडे अपने जमीन का कागज बनवा लिया। इसमें अंचल कर्मी भी फसेंगे। पूरे प्रकरण में मुख्य सवाल यह उठता है कि जिस शोभनाथ पांडेय के दो भाइयों ने पचास साल पहले धनबाद के आलोका रानी को जमीन बेच दिया । उससे दामोदर प्रसाद मेहता ने 2011 में खरीद कर दखल-कब्जा में हैं, उसमें बाउंड्री किए हुए हैं। उस जमीन की जानकारी जमीन बेचने वाले तीसरे भाई शोभनाथ पांडेय ने अब तक दावा क्यों नहीं किया ?
और अब भी वो खुद सामने नहीं आकर किसी अन्य आदमी को एग्रीमेंट क्यों और कैसे कर दिया ? जिस जमीन पर 2011 से दामोदर प्रसाद मेहता कब्जा कर रसीद कटवा रहे हैं उसपर अंचल कर्मियों ने कैसे म्यूटेशन कर रसीद जारी कर दिया ? यह जांच का विषय है।