झारखंड में पहली बार कंपनियों द्वारा अधिग्रहण के इकरारनामा का अनुपालन नहीं करने पर राज्य सरकार ने कंपनियों से रैयतों को जमीन वापस दिलाई। इस तरह रेहाने कोल कंपनी द्वारा अधिग्रहित की गई 56 एकड़ जमीन रैयतों को वापस मिल गई । झारखंड सरकार का ये फैसला आने वाले वक्त में नजीर पेश कर सकता है ।
क्या है पूरा मामला?
हजारीबाग के बड़कागांव विधानसभा के पसेरिया में एक ज्वाइंट वेंचर (joint venture) कंपनी ने कोल ब्लॉक के नाम पर रैयतों से जमीन लिया था । इस joint venture में रोहाने कोल कंपनी प्रा. लि. के साथ-साथ JSW Steel Ltd. , Bhushan Power & steel Ltd. और Jai Balaji Steel Power ltd. हिस्सेदार थे । अधिग्रहित भूमि में कंपनी ने रैयतों से किए गए इकरारनामे के अनुसार काम नहीं किया । इसके बाद रैयत शिकायत लेकर राज्य सरकार के पास पहुंचे ।
मंत्री चंपई सोरेन ने की जांच
रैयतों की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने CNT एक्ट की धारा 49 (5) के तहत मंत्री चम्पई सोरेन को पीठासीन पदाधिकारी बनाकर जांच के आदेश दिए । जांच के बाद मंत्री चम्पई सोरेन ने रैयतों की शिकायत को सही पाया और कंपनी से छीनकर रैयतों को उनकी जमीन वापस देने का आदेश दिया ।
बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद की भूमिका सराहनीय
इस पूरे प्रकरण में बड़कागांव की कांग्रेस विधायिका सुश्री अंबा प्रसाद की भूमिका सराहनीय रही । उन्होंने कंपनी द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन का मुद्दा हर मुमकिन प्लेटफॉर्म पर उठाया । वे रैयतों को साथ लेकर खुद मुख्यमंत्री से मिली । तभी झारखंड के इतिहास में पहली बार हुआ जब किसी कंपनी ने अधिग्रहित की गयी जमीन वापस रैयतों को सौंपी हो, वो भी 56 एकड़ जमीन ।