उज्ज्वल दुनिया /नयी दिल्ली/रांची,3 सितंबर। केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि जनजातीय मामलों का मंत्रालय टीआरआई को अनुदान के तहत अनुसंधान के लिए 26 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को वित्तपोषित कर रहा है और देश भर में फैले प्रतिष्ठित सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के सहयोग से गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान में लगा हुआ है । अर्जुन मुंडा वेबिनार के माध्यम से जनजातीय मामलों के लिए एक्सीलेंस सेंटर(सीओई) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासियों की प्रगति की दिशा में पथ निर्माण के लिए हमें तकनीक का उपयोग करना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारी आदिवासी विकास योजनाएं बहुत गतिशील हैं। हम अतीत में कई बाधाओं से गुजरे हैं, लेकिन अब नई तकनीक की मदद से हम आगे बढ़ रहे हैं। आदिवासियों के लिए विकास योजना पर कैसे आगे बढ़ना है, यह अनुसंधान आधारित होना चाहिए। लाभार्थियों का आकलन सबसे महत्वपूर्ण पहलू है और सभी लाभ उन तक पहुंचना चाहिए ।
उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की है कि नीति के लिए अनुसंधान और जनजातीय प्रशासन की संवैधानिक अवधारणा के बीच बेमेल है । हम विकास योजनाओं को ध्यान में रखते हुए आदिवासी शोध नहीं कर सके। हम नीति में अनुसंधान के हस्तक्षेप से चूक गए हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रस्तावित राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (एनआईटीआर) में भी छात्रों को आदिवासी विकास के प्रति शिक्षित करने के लिए एक शैक्षिक विंग होना चाहिए।