पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्व के विधायक सरयू राय झारखंड की हेमंत सरकार पर अचानक से हमलावर हो गए हैं । एक के बाद एक ट्वीट के जरिए उन्होंने सरकार पर कई सवाल खड़े किए हैं । खान सचिव से लेकर वन विभाग के सचिव तक उनके निशाने पर रहे ।
रामेश्वर उरावं पर हमला
झारखंड के वित्त मंत्री सह कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरावं ने हाल में बाहरी-भीतरी मुद्दे को एक बार फिर हवा देने की कोशिश की है । पहले उन्होने मारवाड़ी और बिहारी को आदिवासी जमीन काशलूटेरा बताया फिर उन्होने “दोना देबे, कोना नी देबे” अर्थात खाना देंगे लेकिन जमीन नहीं देंगे का नाारा दिया ।रामेश्वर उरावं पर पलटवार करते हुए सरयू राय ने लिखा -” पराक्रमी अपनी हिम्मत और हुनर से, धैर्य और आत्म विश्वास से, खून और पसीना से, वसुधैव कुटुम्बकम् और परस्परानुकुलता की भावना से दुनिया के नक़्शे पर सम्मानजनक स्थान बना लेते हैं, धरती को स्वर्ग बना देते हैं. कोना और दोना का रोना नहीं रोते, न किसी का मोहताज होते हैं”
500 करोड़ का नुकसान कौन भरेगा ?
सरयू राय ने लिखा है -“प० सिहभूम के के एक डीसी के ग़ैरक़ानूनी आदेश से सरकार को ₹500 करोड़ का नुक़सान हुआ. डीसी ने 2012 में डीएमओ को अनधिकृत आदेश दिया कि ओएमएम द्वारा 2009-11 में किये गये ₹12 लाख टन लौह अयस्क के अवैध खनन को इसके2013-15 के स्टॉक से एडजस्ट कर लें.डीएमओ ने कर दिया.₹500 करोड़ कौन देगा?”
खान सचिव पर सवाल
सरयू राय ने सीएम हेमंत सोरेन से खान सचिव के गलत आदेश पर रोक लगाने की मांग की है । इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया है । सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की कॉपी नीचे दिए गए लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं ।
सरयू राय ने लिखा है – “खान सचिव का ग़लत आदेश रोकें. सर्वोच्च न्यायालय ने 6.1.2021 को मुक़दमा संख्या 114/2014 के निर्णय में बता दिया है कि रद्द/परिसमाप्त लौह अयस्क खदानों का शेष स्टॉक किस तरह बेचा जायेगा. यह निर्णय पूरे देश में लागू होगा. मेरी बात सही साबित हुई.”
वन विभाग के अतिरिक्त सचिव को हटाने पर सवाल
सरयू राय ने वन विभाग के अतिरिक्त सचिव को अचानक हटा दिए जाने की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं । उन्होने ट्वीट कर पूछा है कि ” झारखंड बिहार से अलग हुआ तो वाल्मीकि टाईगर रिज़र्व में 3 बाघ थे । पलामू टाईगर रिज़र्व में दर्जन भर थे । आज बाल्मिकी में 17 बाघ हैं, पलामू में शून्य । साल भर में यहाँ एक बाघिन,कई हाथी-गौर-सांभर-चितल मरे या मारे गये हैं । ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पीटीआर की अधिसूचना रद्द करनी पडे ।
उन्होने सीएम हेमंत सोरेन से मांग की है कि पलामू टाईगर रिज़र्व का विशेष अंकेक्षण सीएजी से कराइये । पता चलेगा खर्च कहाँ/कैसे हुये हैं ? पदस्थापन किस आधार पर हुये हैं ? वन्यजीव के जानकारों को यहाँ क्यों पदस्थापित नहीं रहने दिया जाता ? वन्य जीव संरक्षण अधिनियम को विगत 10 वर्षों में कितना लागू किया गया है ?
वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव कुछ महीनों में ही हटा दिये गये. क्या प्रवर्तन निदेशालय (ED) की नोटिस और इस पर इनके द्वारा त्वरित कार्रवाई की पहल किये जाने के फलस्वरूप वन विभाग के निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा इनके विरूद्ध माहौल बनाना इन्हें आनन-फ़ानन में हटा दिये जाने का कारण है ।