विष्णु तिवारी की उम्र उस वक्त 23 साल थी, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई । विष्णु के पास वकील रखने के पैसे तक नहीं थे, लिहाजा वो कोर्ट में गुहार लगाता रहा कि उसने कोई रेप नहीं किया है । अब कोर्ट ने उसे निर्दोष बताते हुए तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है क्योंकि उस SC महिला का कभी रेप हुआ ही नहीं था। उसने तो कुछ पैसे लेकर सिर्फ रेप का आरोप लगाया था ।
एक-एक कर परिवार के सभी सदस्य गुजर गए
बात साल 2000 की है….विष्णु उत्तर प्रदेश के ललितपुर गांव में अपने पिता और दो भाइयों के साथ रहता था । उसके पिता का जमीन विवाद अपने ही सगे भाई के साथ चल रहा था । इस बीच ललितपुर से 30 किलोमीटर दूर सिलावन गांव की रहने वाली एक दलित महिला ने विष्णु पर रेप का इल्जाम लगाया । बात एक “ब्राह्मण” द्वारा एक “दलित” महिला से बलात्कार की थी, लिहाजा विष्णु तिवारी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया ।
2003 में विष्णु तिवारी को उम्रकैद की सज़ा
विष्णु और उसके पिता इतने गरीब थे कि उनके पास वकील रखने तक के पैसे नहीं थे । 2003 में विष्णु को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा सुनाते हुए आगरा जेल भेज दिया । जेल Superintendent वीके सिंह बताते हैं कि विष्णु एक सीधा लड़का है । जेल में उसका काम था खाना बनाना और साफ-सफाई करना । पिछले 6 साल से उससे कोई मिलने भी नहीं आता था क्योंकि उसके पिता और भाई की मौत हो चुकी है ।
आखिर निर्दोष कैसे साबित हुआ विष्णु तिवारी
साल 2020 में जेल प्रशासन ने State legal services में अपील की । इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस कौशल जयेन्द्र ठक्कर (justices Kaushal Jayendra Thaker) और जस्टिस गौतम चौधरी (Gautam Chaudhary) की बेंच ने विष्णु को निर्दोष घोषित कर दिया ।
पूरे मामले पर कोर्ट ने क्या कहा ?
कोर्ट ने कहा “महिला विष्णु को जानती तक नहीं, उसके शरीर पर न कोई चोट, न ही किसी तरह की जोर-जबरदस्ती के निशान पाए गये । जिस दिन की घटना है, उसके दो दिन बाद FIR दर्ज कराया गया । पीड़ित महिला के पति और ससुर ने किसी तीसरे से पैसे लेकर FIR दर्ज कराया । “