जमशेदपुर। जमशेदपुर के मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज में दाखिले पर केंद्र सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशालय की मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एएमई) द्वारा लगाये गये रोक को खत्म करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से बात की है। शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वे एक सप्ताह के भीतर इस मामले का समाधान करेंगे। उन्होंने इस सिलसिले में बात करने के लिए मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के शीर्ष प्रबंधन को तुरंत उनसे मुलाकात करने के लिए कहा है।
रघुवर दास ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर प्राइवेट पब्लिक मोड पर मेडिकल शिक्षा के लिए देश में जिन दो संस्थानों का चयन किया गया था उनमें जमशेदपुर के मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज शामिल है। हालांकि तकनीकी कारणों से महाराष्ट्र स्थित पीपी मोड के मेडिकल कॉलेज को मेडिकल काउंसलिंग कमेटी ने होल्ड कर दिया था और इसी गलतफहमी में जमशेदपुर का मणिपाल-टाटा मेडिकल कॉलेज के नामांकन पर भी रोक लग गयी है।
उन्होंने बताया है कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी जी की पहल पर देवघर में एम्स की स्थापना हुई है, जहां 100 सीटों पर पढ़ाई जारी है। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में झारखंड में मेडिकल शिक्षा एवं मेडिकल व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए उठाये गये कदमों की चर्चा करते हुए बताया कि उनकी पहल से टाटा घराना ने रांची में कैंसर अस्पताल की स्थापना के लिए सहमति दी है और इस दिशा में काम चल रहा है।
इसके अलावा पूर्ववर्ती सरकार की कोशिशों एवं सक्रिय सहयोग के कारण आज पलामू, हजारीबाग और दुमका में मेडिकल कॉलेज स्थापना के लिए कॉलेज भवन बनकर तैयार है। इन तीनों मेडिकल कॉलेजों में 100-100 सीटों पर दाखिला के लिए कुछ शर्त के साथ मेडिकल काउंसिल ने अनुमति प्रदान की थी।
वर्तमान राज्य सरकार की लापरवाही के कारण इन तीनों सरकारी कॉलेजों में दाखिला पर मेडिकल काउंसिंग ने रोक लगा दी है। वर्तमान राज्य सरकार केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय से बात कर इस रोक को खत्म करवाने के लिए बात करती और नामांकन की प्रक्रिया शुरू करवाती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उल्टे राज्य सरकार केंद्र सरकार पर आरोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है। राज्य सरकार को चाहिए था कि जिन शर्तों के अनुपालन पर इन कॉलेजों में दाखिला की अनुमति दी गयी थी उनका पालन कराया जाता, ताकि झारखंड के छात्र बड़ी संख्या मेडिकल की उच्च शिक्षा को प्राप्त करते।