Sunday 9th of February 2025 02:23:31 PM
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पक्षी अभ्यारण्य पतौड़ा झील परिक्षेत्र को इको सिंसेटिव जोन कागज कलम तक सिमित

पक्षी अभ्यारण्य पतौड़ा झील परिक्षेत्र को इको सिंसेटिव जोन कागज कलम तक सिमित

क्रेशर से उड़ते धूल,मशीन, वाहनों के कोलाहल विदेशी पक्षियों के प्रतिकूल

 

नीरज कुमार जैन

साहिबगंज। राजमहल पहाड़ी श्रृखंला व गंगा नदी के तट पर पक्षी अभ्यारण्य पतौड़ा झील उधवा प्राकृतिक सौंदर्य एवं अद्भुत भौगोलिक संरचना को संरक्षित करने के उद्धेश्य से क्षेत्रीय विधायक सह विपक्षी नेता अनंत ओझा ने विस के मानस पटल पर उठा कर क्षेत्र को इको सिंसेटिव जोन की श्रेणी मे ले आए। लेकिन यह कागज कलम तक मे ही सिमट कर रह गई है। फलतः पक्षियों का शिकार हो या झील से मछली पकड़ने व परिक्षेत्र मे आवास बनने पर अंकुश नहीं लग पाया वहीं पक्षी अभ्यारण्य व झील से महज एक-डेढ़ किमी के ऐयर रैंज मे पत्थर क्रेशर धड़ल्ले से संचालित है।
प्राकृतिक सौंदर्य का वरदान उक्त अभ्यारण्य एन एच 80 के किनारे उधवा के समीप बसा है। झारखंड राज्य का उधवा झील पक्षी आश्रयणी पतौड़ा झील एवं बरहेल झील को मिलकर बना है। पतौड़ा झील लगभग 156 हेक्टेयर भूमि पर अवस्थित है। दूसरी तरफ ब्रम्ह जमालपुर झील जो 410 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला हुआ है। ब्रम्ह जमालपुर झील को बढ़ैल या बड़का झील भी कहते हैं। राजमहल की पहाड़ियों के बीच लगभग 5.65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में उधवा का पक्षी आश्रयणी है।दोनों झीलों को उदयनाला के माध्यम से गंगा नदी से साल भर पानी मिलता रहता है। शीत ऋतु और बरसात के मौसम में बढ़ैल और पतौड़ा झील आपस में जुड़ जाते हैं । कई प्रवासी ,अप्रवासी पक्षी और द्रुलभ प्रजाति के पक्षी यहाँ जलक्रीड़ा करते हैं।मध्य एशिया से दिसंबर और मार्च के महीने में कई प्रवासी पक्षी आते हैं और इस झील की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं। दोनों झील के प्राकृतिक सौंदर्य दृश्य अप्रवासी एवं प्रवासी पक्षियों को लुभाते हैं और वे स्वयं को यहाँ सुरक्षित महसूस करते हैं।शीत ऋतु में लगभग 80 प्रजातियों के प्रवासी और अप्रवासी पक्षी यहाँ पाए जाते हैं और इनमें से कई दुर्लभ प्रजाति के हैं। पतौड़ा झील झारखंड राज्य का एकमात्र पक्षी अभयारण्य और प्रवासी पक्षियों को आश्रय देने वाला प्राकृतिक घर है। जिस पर इनदिनों राजमहल की पहाड़ी श्रृंखला पर पत्थर माफियाओं द्वारा दोहन और पहाड़ी से पत्थर खनन से निकलने वाले कचरें का निस्तारण नदी मे करने से प्रवासी पक्षियों के अनुकूल नही रहा पतौड़ा झील का वातावरण। अब लोग नए साल मे पिकनिक मनाने पहुंचते है। प्रशासन भी झील से होने वाले पक्षियों के शिकार को रोकने को भी तत्पर है।

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