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देश ​की ‘तीसरी आंख’ बने सर्जिकल स्ट्राइक के हीरो

अनिल धस्माना को बनाया गया एनटीआरओ का नया मुखिया 

– पीएमओ और एनएसए के अधीन काम करती है खुफिया एजेंसी 

कारगिल वार के बाद किया गया था नए खुफिया तंत्र का गठन 

नई दिल्ली ।  अनुसंधान और विश्लेषण विंग (रॉ) के प्रमुख रह चुके अनिल धस्माना को नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है। वह लंबे समय तक रॉ में कार्यरत थे और उन्हें पाकिस्तान मामलों का भी विशेषज्ञ माना जाता है। वह दो साल के लिए राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन के प्रमुख होंगे। देश की ‘तीसरी आंख’ कही जाने वाली एनटीआरओ खुफिया एजेंसी सीधे पीएमओ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अधीन काम करती है।

कारगिल वार से पहले तक देश में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) खुफिया एजेंसी के तौर पर काम करती रही हैं। इसमें आईबी सबसे पुरानी खुफिया एजेंसी है, जिसका गठन अंग्रेजों के समय में ही हुआ था। 1968 तक देश में यही एक खुफिया एजेंसी थी। 1962 में चीन से और 1965 में पाकिस्तान से युद्ध में आईबी को नाकाम माना गया था। इसलिए बाद में रॉ का गठन हुआ। इंटेलिजेंस ब्यूरो और रॉ दोनों ही गृह मंत्रालय के तहत एजेंसियां हैं। रॉ का काम पड़ोसी देशों पर निगरानी रखना है और सेना और सरकार को जानकारी देना है। बांग्लादेश के बंटवारे में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई। जब 1999 में पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सीमा के अंदर कारगिल की पहाड़ियों में अपने बंकर बना लिए तो इसे दोनों ही खुफिया एजेंसियों की नाकामी के तौर पर देखा गया। कारगिल की पहाड़ियां फिर से अपने नियंत्रण में करने के लिए 60 दिनों तक पाकिस्तान से लड़ाई लड़नी पड़ी। 

इसके बाद सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) केके हजारी, बीजी वर्गीज और सतीश चंद्रा जैसे लोग शामिल थे। कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में इस युद्ध के लिए खुफिया एजेंसियों को ही जिम्मेदार ठहराया। साथ ही कमेटी ने एक नए खुफिया तंत्र के गठन की सिफारिश की। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उसी समय बतौर रक्षा सलाहकार आंतरिक सुरक्षा को लेकर नेशनल टेक्निकल फैसिलिटीज ऑर्गनाइजेशन (एनटीएफओ) का गठन किया था जिसके अध्यक्ष उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी थे। इसी संगठन को 2004 में नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) में तब्दील कर दिया गया। इस एजेंसी को देश की सुरक्षा से संबंधित खुफिया जानकारियां सरकार और भारतीय सेना को देने की जिम्मेदारी दी गई। 

एनटीआरओ ने अंतरिक्ष में एक सेटलाइट भेजा है जिसके जरिए देश पर निगरानी रखकर खुफिया जानकारी जुटाता है। इसके अलावा मोबाइल फोन की मॉनिटरिंग भी इसी के जिम्मे है। देश के संगठनों, उनकी इमारतों और समुद्री इलाकों में भी संगठन की नजर रहती है। इसके अलावा संगठन के पास दो रडार सेटलाइट और ड्रोन भी हैं जिनके जरिए यह तस्वीरें जुटाता है। युद्ध से संबंधित हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की सुरक्षा भी इसी के जिम्मे है। एनटीआरओ प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के अधीन काम करता है। बालाकोट स्ट्राइक में बेहद अहम भूमिका निभाने वाले अनिल धस्माना को नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (एनटीआरओ) का नया मुखिया नियुक्त किया गया है। उन्होंने ही सेटलाइट से ली गई तस्वीरों के जरिए बालाकोट स्ट्राइक में 300 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने का दावा किया था।  

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