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कोडरमा में है पर्यटन की असीम संभावनाएं ,बस निखारने की जरूरत


संजय साजन
कोडरमा: कभी विश्व की मानचित्र में माइक की दुदिया रोशनी से नहलाने वाला कोडरमा जिले की प्रकृति की मनोरम वादियों से आच्छादित इस जिले में पर्यटन के विकास की असीम संभावनाएं हैं। जल, जंगल एवं पहाड़ से आच्छादित यहां की वादियां वैसे तो सैलानियों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करती ही हैं, जिले के आसपास मौजूद कई पुरातात्विक अवशेष भी लोगों के जानकारी और निरंतर खोज का विषय बन सकते हैं। इन सब के बावजूद विडंबना यह है कि सरकारी स्तर पर कोई भी प्रयास यहां के विकास के लिए नहीं हो रहा है।


जिले की सबसे बड़ी समस्या इन स्थलों में जरूरी सुविधा और सुरक्षा को लेकर आ रही है। जिले के सतगांवा में ऐतिहासिक घोरसीमर धाम में पाए जानेवाले पुरातात्विक अवशेषों की खुदाई पर कुछ वर्ष पूर्व झारखंड सरकार के कला संस्कृति एवं युवा कार्य विभाग ने कुछ वर्ष पूर्व दिखाई थी, लेकिन बाद में यह मामला फाइलों में ही सिमट कर रह गया।


इसी तरह चंदवारा के उरवां के समीप करीब 200 एकड़ क्षेत्रफल में टूरिस्ट रिसॉर्ट बनाने का मामला भी अधर में लटका है। कोडरमा के प्रसिद्ध ध्वजाधरी धाम और सतगांवा के घने जंगलों में स्थित पेट्रो जलप्रपात के विकास का भी मामला वर्षो से सरकारी पेंच में फंसा है। समय के साथ इन पर्यटन स्थलों के विकास की मांग जोर पकड़ती रही है।

  
कोडरमा जिले में पर्यटन की उद्योग के विकास की संभावनाओं पर सरकारी महकमा भले ही शिथिल रहा हो, लेकिन एक निजी संस्था का ध्यान हमारा इंटरटेनमेंट के बैनर तले कोडरमा में पर्यटन के विकास और पर्यटकीय लिहाज से इसकी महत्ता पर रोशनी डालने के उद्देश्य एक डाक्यूमेंट्री के निर्माण किया गया । जिसका नाम दिया गया
(डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘कोडरमा-द सेंटर ऑफ टूरिस्ट अट्रैक्शन’)।  डाक्यूमेंट्री का निर्माण से जुड़े भोजपुरी फिल्म अभिनेता अमरेश कुमार और स्थानीय चिकित्सक डाक्टर वीरेंद्र कुमार ने किया। डाक्यूमेंट्री के निर्माण में छह माह का समय लगा।

कोडरमा है कई पर्यटक स्थलों तक जाने का केंद्र 

कोडरमा एवं झुमरीतिलैया शहर आवागमन, ठहरने एवं खाने-पीने के लिहाज से बिहार एवं झारखंड के कई पर्यटक स्थलों का केंद्र बन सकता है। दूसरे राज्यों के सैलानी कोडरमा स्टेशन में उतरने के बाद सड़क एवं रेल मार्ग से 90 किलोमीटर सफर तय करके प्रसिद्ध बोधगया जा सकते हैं। वहीं सड़क मार्ग से ही इतना ही दूसरी तय करके वे नालंदा, राजगीर, पावापुरी, जैनियों के प्रसिद्ध तीर्थस्थल सम्मेद शिखर मुधबन जा सकते हैं।

यहां से 50 किलोमीटर के दायरे में इसके अलावा, बरकट्ठा का प्रसिद्ध सूर्यकुंड, इटखोरी का मां भद्रकाली मंदिर व हजारीबाग नेशनल पार्क आदि स्थानों में जा सकते हैं। इसके अलावा जिले में भी तिलैया डैम, पेट्रो जलप्रपात, ध्वजाधारी धाम, घोरसीमर धाम जैसे दर्जनों महत्वपूर्ण स्थल है, जहां लोग पर्यटन के लिहाज से जा सकते हैं।

कोडरमा स्टेशन में जहां राजधानी समेत सभी महत्वूपर्ण ट्रेनों का ठहराव है, वहीं सड़क मार्ग से भी लोग कहीं भी जा सकते हैं। यहां ठहरने एवं भोजन आदि के लिए अच्छे होटल की व्यवस्था है। यानी दूसरे प्रदेशों के सैलानी कोडरमा को सेंटर बनाकर आसपास के इन दर्जन भर स्थलों की सैर तीन चार दिनों के अंदर आसानी से कर सकते हैं।

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