उज्ज्वल दुनिया /रांची: राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि हड़ताली मनरेगाकर्मी काम पर लौटे, राज्य सरकार उनकी हर मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि मनरेगा कर्मियों के संघ के प्रतिनिधियों के साथ आज हुई बातचीत में उनकी अधिकांश मांगों पर सहमति भी बन गयी थी और उनकी ओर से काम पर वापस लौटने का भी भरोसा दिलाया गया, लेकिन बाद में कुछ नेता अलग तरीके से बातचीत कर रहे है।
ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि मनरेगा कर्मियों की प्रमुख चिंता है कि यदि उनके साथ कोई घटना-दुर्घटना होती है, तो उनके परिवार का क्या होगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत पीड़ित परिवार को हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
मनरेगा कर्मियों की दूसरी मांग के संबंध में आलमगीर आलम ने बताया कि उनका कहना है कि बीडीओ-सीओ अक्सर उन्हें हटा दिये जाते है, इस संबंध में अब यह निर्णय लिया गया है कि बीडीओ-सीओ उनसे स्पष्टीकरण पूछेंगे और जवाब संतोषजनक होने पर उन्हें नहीं हटाया जाएगा, वहीं यदि उन्हें हटा दिया जाता है, तो वे प्रमंडलीय आयुक्त के समक्ष अपील भी कर सकते है।60वर्ष की उम्र सीमा पूरी होने के बाद सेवानिवृत्त होने के बाद मनरेगा कर्मियों के समक्ष आने वाली समस्या के संबंध में ग्रामीण विकास मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ईपीएम और अन्य सहायता के माध्यम से ऐसे रिटायर मनरेगा कर्मियों को एकमुश्त अच्छी राशि उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए वे चिंता छोड़ कर काम पर वापस लौट जाय।
ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि कोविड-19 संक्रमणकाल में राज्य सरकार दूसरे प्रदेशों में रहने वाले लोगों को घर बुलाकर काम दे रही है,ऐसे में मनरेगा कर्मियों का भी यह दायित्व बनता है कि वे व्यवस्था को बनाये रखने में सहयोग करें।
उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणकाल में कई कठिनाईयां भी उत्पन्न हुई है, विकास का काम भी प्रभावित है, ऐसे में मनरेगा कर्मी लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने और विकास को गति देने में सहायक बने।