उज्ज्वल दुनिया \रांची । भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने एक बार फिर सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर राज्य की गिरती कानून व्यवस्था पर ध्यान देने का आग्रह किया है । बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि 7 अगस्त को राज्य के कारोबारी सह अखबार के प्रधान संपादक अभय सिंह को उनके व्हाट्सएप पर अपराधियों द्वारा 2 करोड़ रूपये रंगदारी देने का धमकी भरा संदेश मिलता है। उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना दी। 15 तारीख को उनके कार्यालय पर फायरिंग वाली घटना हो जाती है। ये सब स्वतंत्रता दिवस जैसे हाई अलर्ट विधि-व्यवस्था के दौरान घटी वारदात है ।
सीएम को धमकी शाले मामले में पुलिस के हाथ खाली
बाबूलाल मरांडी ने लिखा है कि अभय सिंह वाले मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है लेकिन सीएम हेमंत सोरेन को ईमेल से प्राप्त धमकी के मामले में तो पुलिस के हाथ खाली हैं । आपके वाले मामले में अपराधियों का धमकी भरा पहला ई-मेल 8 जुलाई को आता है और 13 जुलाई को पुलिस प्राथिमिकी दर्ज करती है। मामले में अपराधियों द्वारा प्रयुक्त सिस्टम का सर्वर स्विट्जरलैंड व जर्मनी यानि दूसरे देश के होने की बात सामने आने के बाद इंटरपोल की मदद लेने की बजाय साइबर थाना रांची से ई-मेल कर प्रयुक्त उक्त सर्वर सिस्टम का ब्यौरा मांगकर झारखंड की काबिल पुलिस पहले ही अपनी किरकिरी करा चुकी है। आज भी 40 दिन गुजरने के बाद भी इस मामले में पुलिस के हाथ खाली ही हैं ।
क्या पुलिस विधि-व्यवस्था से इतर किसी दूसरे काम-धंधे में लीन हो चुकी है ?
बाबूलाल मरांडी ने अपने पत्र में लिखा है कि चौतरफा शिकायतें मिल रही हैं कि छोटे-से लेकर बड़े पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों ट्रांसफर-पोस्टिंग में बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी हो रही है। पैसे लेकर अधिकारियों और सत्ता में मौजूद नेताओं के द्वारा मनपसंद स्थानों पर ट्रांसफर-पोस्टिंग का खेल खेलने की बात सामने आ रही है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि राज्य के छोटे से इलाके दुमका में प्रतिदिन केवल ट्रकों के परिवहन से लगभग 50 लाख तक की अवैध वसूली की जा रही है। इस एक मामले से पूरे राज्य की तस्वीर समझी जा सकती है।
सत्ताधारी दल के राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति को ही अपना काम समझने लगी है पुलिस
दूसरी तरफ राज्य सरकार पुलिस की उर्जा का इस्तेमाल अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से निपटने और उन्हें पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर सबक सिखाने में कर रही है। स्वभाविक है, जब पुलिस अपना मूल काम छोड़कर सत्ताधारी दल के राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति को ही अपना मूल काम समझने लगेेगे तब अपराधी, गुंडे, चोर-उचक्के, बदमाश उत्पात करेंगे ही/कर भी रहे हैं और आगे भी करेंगे। क्योंकि जिनको अपराध पर अंकुश लगाना है वे खुद कहीं और व्यस्त हो गए हैं या कर दिए गए हैं।