वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हैं. कोरोना काल में करीब आठ महीने के बाद पीएम नरेंद् पीएम नरेंद्र मोदी का वाराणसी दौरा हो रहा है. अपने इस दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी को करीब 1500 करोड़ से अधिक की योजनाओं की सौगात दी।
सुबह 10:30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर वायुसेना का विमान बाबतपुर एयरपोर्ट पर पहुंचा तो उनका स्वागत करने के लिए शासन प्रशासन के शीर्ष अधिकारी मौजूद रहे। पीएम को लेकर भारतीय वायुसेना का विमान एप्रन पर पहुंचा तो विमान से उतरने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी अगवानी की और पीएम ने सुबह 11. 27 बजे सभी योजनाओं को जनता को समर्पित किया। संबोधन के बाद पीएम बीएचयू के एमसीएच का निरीक्षण करने पहुंचे और कोरोना की तीसरीलहर से बचाव की तैयारियों का जायजा लेने के बाद साथ 18 कोरोना वारियर्स से बात की। इसके बाद पीएम ने दोपहर दो बजे जापान के सहयोग से बने रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर का लोकार्पण किया। इसके बाद प्रधानमंत्री दोपहर बाद 3:45 बजे नई दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
रुद्राक्ष का लोकार्पण कर बोले पीएम : काशी के प्रबुद्ध जनों को पीएम ने संबोधित किया। बताया कि लंबे समय बाद आपके बीच आने का मौका मिला है। बनारस का मिजाज ऐसा है कि अरसा भले लंबा हो जाए लेकिन शहर मौका मिलने पर एक साथ रस भरकर दे देता है। काशी ने बुलाया तो एक साथ विकास कार्यों की झड़ी लगा दी। महादेव के आशीर्वाद से काशीवासियों ने विकास की गंगा बहा दी है। सैकड़ों करोड़ की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। काशी का वैभव आधुनिक स्वरुप के अस्तित्व में आ रहा है। बाबा की नगरी थमती और रुकती नही है। स्वभाव को सिद्ध किया है। कोरोना में दुनिया ठहर गई तो काशी संयमित हुई अनुशासित हुई लेकिन स्रजन और विकास की धारा बहती रही। काशी के विकास के आयाम इंटरनेशनल सेंटर रुद्राक्ष आज इसी रचनात्मकता और गतिशीलता का परिणाम है। काशी के हर जन को बधाई देता हूं। भारत के परम मित्र जापान और पीएम के साथ जापान के राजदूत को भी धन्यवाद देता हूं। जापान के पीएम का संदेश देखा। उनकी वजह से यह उपहार मिला है। जापानी पीएम उस समय चीफ सेक्रेटरी थे और तबसे इसमें व्यक्तिगत तौर पर शामिल रहे। इस आयोजन में एक और व्यक्ति जिनको भूल नहीं सकता। शिंजो आबे जी, मुझे याद है जब वह पीएम के तौर पर काशी आए थे तो रुद्राक्ष के आइडिया पर लंबी चर्चा की। उन्होंने तुरंत अधिकारियों को निर्देश दिया और जापान के कल्चर पर परफेक्शन और प्लानिंग के साथकाम किया और आज भव्य इमारत काशी की शोभा बढ़ा रही है। बनेगा। बनारस में कवि सम्मेलन के फैन दुनिया में हैं। इस सेंटर में 1200 लोगों के बैठने की सुविधा है, पार्किंग और दिव्यांगों के लिए सुविधा है। हैंडीक्राफ्ट और शिल्प को पहचान मिल रही है। कारोबारी गतिविधि भी बढ़ रही है। इसका उपयोग बिजनेस में किया जा सकता है। काशी का पूरा क्षेत्र साक्षात शिव हैं। सारी विकास परियोजनाओं से काशी का श्रंगार हो रहा है तो बिना रुद्राक्ष के कैसे पूरा हो सकता था। अब रुद्राक्ष काशी ने धारण कर लिया है तो शोभा बढ़ेगी। इसका पूरा उपयोग करना है। सांस्कृतिक सौंदर्य प्रतिभा को इससे जोड़ना है। भारत जापान को भी इससे मजबूती मिलेगी। महादेव के आशीर्वाद से काशी की पहचान बनेगा यह केंद्र। जापान सरकार, प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करता हूं और बाबा आप सभी को खुश स्वस्थ और सजग रखें। कोरोना प्रोटोकाल का पालन करें। हर हर महादेव। धन्यवाद। भविष्य की संभावनाओं का स्रोत है। अपने पन पर जापान से ऐसे ही सांस्कृतिक संबंध की रूपरेखा खींची थी। विकास के साथ दोनों देशों के रिश्तों में मिठास का अध्याय लिखा जा रहा है। रुद्राक्ष के साथ ही गुजरात में भी जापान में जापानी गार्डन और एकाडमी का लोकार्पण हुआ था। वैसे ही जैन गार्डन भी दोनों देशों के बीच सुगंध फैला रहा है। जापान भारत के सबसे विश्वसनीय दोस्तों में एक है। पूरे क्षेत्र में नैचुरल पार्टनर में एक हैं। विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर में जापान हमारा साझेदार है। हाईस्पीड रेल, कारीडोर जापान के सहयोग से न्यू इंडिया की ताकत बन रहे हैं। हमारा विकास हमारे उल्लास के साथ जुड़ा होना चाहिए। विकास सर्वमुखी सबके लिए और सबको जोड़ने वाला होना चाहिए। पुराणों में कहा गया है कि सबके हित के लिए सबके कल्याण के लिए आंसुओं से गिरा रुद्राक्ष है, उनकी अंश्रुबूंंद मानव प्रेम का प्रतीक है। रुद्राक्ष भी दुनिया को आपसी प्रेम कला संंस्कृति से जोड़ने का काम करेगा। काशी सबसे पुराना शहर है। सीर से सारनाथ ने सबकुछ संजोकर रखा है। ठुमरी दादरा ख्याल कजरी चैती जैसी बनारस की चर्चित विख्यात गायन शैलियां सारंगी पखावज शहनाई हो बनारस के रोम रोम से गीत संगीत कला झरती है। घाटों पर कलाएं विकसित हुईं। बना
रस गीत संगीत और धर्म आध्यात्म विज्ञान का केंद्र है। कल्चरल इवेंट के लिए बनारस आइडियल लोकेशन है। लोग देश विदेश से आना चाहते हैं। सुविधा मिले तो कला जगत के लोग बनारस को प्राथमिकता देंगे।