उज्ज्वल दुनिया/नई दिल्ली । स्वामित्व योजना से 6 राज्यों के 763 गांवों के लोगों को फायदा मिलेगा । इसमें उत्तर प्रदेश के 346, हरियाणा के 221, महाराष्ट्र के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तराखंड के 50 और कर्नाटक के 2 गांव शामिल होंगे । महाराष्ट्र को छोड़कर बाकी सभी राज्यों के लाभार्थी 1 दिन के अंदर फिजिकल कार्ड प्राप्त करेंगे जबकि महाराष्ट्र के भू-स्वामियों को संपत्ति कार्ड मिलने में 1 महीने का समय लग सकता है ।
इस योजना से भू-संपत्ति मालिक अपनी प्रॉपर्टी को वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे । इसका इस्तेमाल लोन के लिए अप्लाई करने सहित अन्य आर्थिक लाभ के लिए किया जा सकेगा । इस योजना का शुभारंभ करने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ लाभार्थियों से बात भी करेंगे ।
‘स्वामित्व’ केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक योजना है । इस योजना के बारे में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 24 अप्रैल, 2020 को घोषणा की थी । इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है ।
इस योजना को 4 चार सालों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. इस योजना का काम 2020 से 2024 के बीच पूरा किया जाना है और देश के 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाना है. इसमें से एक लाख गावों को आरंभिक चरण (पायलट फेज) में 2000-21 के दौरान कवर किया जाएगा. इस प्राइमरी फेज में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक के गांवों के साथ-साथ से पंजाब तथा राजस्थान के सीमावर्ती कुछ गांव शामिल होंगे. पंजाब और राजस्थान में नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन (सीओआरएस) नेटवर्क भी स्थापित किया जाएगा.
इन सभी राज्यों ने सर्वे ऑफ इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत इस योजना के क्रियान्वयन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वेक्षण किया जाएगा. इन राज्यों ने डिजिटल संपत्ति कार्ड के प्रारूप और जिन गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण किया जाना है उसे अंतिम रूप दे दिया है. पंजाब और राजस्थान में सीओआरएस नेटवर्क की स्थापना के लिए सर्वे ऑफ इंडिया से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि भविष्य में ड्रोन उड़ाने संबंधी गतिविधियों को संचालित करने में मदद की जा सके.
अलग-अलग राज्यों में संपत्ति कार्ड को अलग-अलग नाम दिए गए हैं. हरियाणा में ‘टाइटल डीड’, कर्नाटक में ‘रूरल प्रॉपर्टी ओनरशिप रिकॉर्ड’ (आरपीओआर), मध्यप्रदेश में ‘अधिकार अभिलेख’, महाराष्ट्र में ‘सनद’, उत्तराखंड में ‘स्वामित्व अभिलेख और उत्तर प्रदेश में ‘घरौनी’ नाम दिया गया है ।