उज्ज्वल दुनिया /नई दिल्ली, 08 सितम्बर (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय मीडिया के वैश्वीकरण की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आज लगभग हर अंतरराष्ट्रीय मंच में भारत की मजबूत उपस्थिति है। ऐसे में भारतीय मीडिया को भी ग्लोबल होने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत के उत्पाद तो ग्लोबल हो ही रहे हैं, भारत की आवाज भी ग्लोबल हो रही है। दुनिया अब भारत को और ज्यादा ध्यान से सुनती है। उन्होंने कहा कि ऐजे में हमारे अखबारों, पत्रिकाओं की ग्लोबल प्रतिष्ठा बने, डिजिटल युग में डिजिटल माध्यम से हम पूरी दुनिया में पहुंचे, दुनिया में जो अलग अलग साहित्यिक पुरस्कार दिये जाते हैं, भारत की संस्थाएं भी वैसे ही अवार्ड दें, ये भी आज समय की मांग है। ये भी देश के लिए जरूरी है।
महामारी के इस दौर में मीडिया की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया ने कोरोना वायरस महामारी पर जागरूकता फैलाकर ‘अभूतपूर्व तरीकों’ से लोगों की सेवा की। प्रधानमंत्री ने वेद और उपनिषदों को वर्तमान वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए प्रासंगिक बताते हुए कहा कि उपनिषदों का ज्ञान व वेदों का चिंतन केवल आध्यात्मिक और दार्शनिक आकर्षण का ही क्षेत्र नहीं है, वेद और वेदांत में सृष्टि व विज्ञान का भी दर्शन है। आज विश्व जिन समस्याओं से जूझ रहा है, उसकी चर्चा हजारों साल पहले हुई है। उन्होंने कहा कि आज जब हम आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं, ‘वोकल फॉल लोकल’ की बात कर रहे हैं तो हमारा मीडिया इस संकल्प को एक बड़े अभियान की शक्ल दे रहा है। हमें अपने इस विजन को और व्यापक करने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने पुस्तक पढ़ने की लोगों की घटती आदतों पर चिंता जताते हुए कहा कि आज टेक्स्ट और ट्वीट के इस दौर में ये और ज्यादा जरूरी है कि हमारी नई पीढ़ी गंभीर ज्ञान से दूर न हो जाए। प्रधानमंत्री ने देशवासियों, विशेषकर युवाओं से पुस्तकें पढ़ने का आग्रह करते हुए कहा कि गूगल गुरु के इस युग में युवाओं को वैचारिक गहराई केवल पुस्तकों से ही मिल सकती है। उन्होंने घर में पुस्तकों के लिए भी एक स्थान निश्चित करने की सलाह दी।