संयुक्त उत्पादन और आपसी व्यापार के जरिए देंगे रक्षा निर्यात को बढ़ावा
नई दिल्ली । संयुक्त उत्पादन और आपसी व्यापार के जरिए रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सहमत हुए हैं, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है। यूएई की ओर से कहा गया कि दोनों देशों के पास रक्षा सहयोग बढ़ाने और भविष्य में एक साथ और अधिक मजबूत होने का यह एक उपयुक्त समय है।
दोनों देशों के बीच ’सहयोगात्मक साझेदारी के लिए भारतीय रक्षा उद्योग की वैश्विक पहुंच: भारत-यूएई रक्षा सहयोग’ विषय पर एक वेबिनार एवं प्रदर्शनी में यह सहमति बनी। सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चर्स, एसआईडीएम के माध्यम से रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा इस वेबिनार का आयोजन किया गया। यह वेबिनार उस वेबिनार श्रृंखला का हिस्सा था, जो रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने और अगले पांच वर्षों में पांच अरब डॉलर का रक्षा निर्यात लक्ष्य हासिल करने के उद्देश्य से मित्र देशों के साथ आयोजित की जा रही हैं। दोनों देशों के राजदूतों और रक्षा मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों ने वेबिनार में भाग लिया और भारत-यूएई के गहरे संबंधों की बात की। दोनों पक्ष संयुक्त उत्पादन और आपसी व्यापार के जरिए रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
रक्षा उद्योग उत्पादन के संयुक्त सचिव संजय जाजू ने कहा कि ’आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत हम संरक्षणवाद की वकालत नहीं कर रहे हैं। इसके उलट, हम खुलेपन और अंतर-संपर्क पर जोर दे रहे हैं ताकि हमारी कंपनियां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का हिस्सा बन सकें और विदेशी कंपनियां भारतीय रक्षा विनिर्माण तंत्र में एक भूमिका निभा सकें। वेबिनार में विभिन्न भारतीय कंपनियों जैसे एलएंडटी डिफेंस, जीआरएसई, ओएफबी, एमकेयू, भारत फोर्ज और अशोक लीलैंड ने आर्टिलरी सिस्टम, रडार, प्रोटेक्टेड व्हीकल, तटीय निगरानी प्रणाली, आकाश मिसाइल प्रणाली और गोला बारूद आदि जैसे प्रमुख मंचों/ उपकरणों पर कंपनी और उत्पाद संबंधी प्रस्तुतियां दीं।
यूएई की ओर से स्ट्रेट ग्रुप, रॉकफोर्ड जैलरी, एज, तवाजुन और मराकेब टेक्नोलॉजीज ने प्रस्तुतियां दीं। वेबिनार में 180 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और प्रदर्शनी में 100 से ज्यादा आभासी प्रदर्शनी स्टॉल लगाए गए। भारत में संयुक्त अरब अमीरात के राजदूत डॉ. अहमद अल्बन्ना ने कहा कि दोनों देशों के पास रक्षा सहयोग बढ़ाने और भविष्य में एक साथ और अधिक मजबूत होने का यह एक उपयुक्त समय है।