Tuesday 16th of September 2025 05:16:19 PM
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बुढ़मू के छापर बालू घाट से बालू का अवैध धंधा फिर शुरू

एन जी टी रोक के बावजूद  जारी है अवैध बालू उत्खनन का धंधा
दामोदर नदी घाट से ट्रैक्टर द्वारा किया जाता है डंप और डंप यार्ड से हाइवा के माध्यम से बेचा जाता है अवैध बालू
सुधीर सिंह एस के एस मिनिरल्स व ईदू खान मिनिरल्स सहित दो लोगों के नाम से छापर नदी के तट पर  बालू स्टॉक का जारी है  लाइसेंस 

सुदीप सिंह (उज्ज्वल दुनिया) बुढ़मू  : थाना क्षेत्र में एक बार फिर बालू का काला खेल छापर स्थित बालू घाट से बदस्तूर जारी हो चुका  है। यह अवैध धंधा स्टॉक लाइसेंस के नाम पर चलाया जा रहा है। स्टॉक पर बालू नही है फिर भी दर्जनों हाइवा प्रतिदिन निकल रहें है क्योंकि सारा बालू छापर स्थिति बालू घाट से अवैध तरीके से खनन कर स्टॉक पर गिराया जाता है।बालू स्टॉक करने के लिए ट्रैक्टरों का सहारा लिया जा रहा है । दर्जनों ट्रैक्टर दिन रात लग कर बालू का अवैध सटॉक पर प्रतिदिन लगे रहते है और यही स्टॉक दिखा कर चालान के नाम पर अवैध बालू का उठाव किया जाता रहा है। स्टॉक का चालान दिखा कर राँची व आसपास के इलाकों में धड़ल्ले से बेचते है। इस खेल में जहाँ माफियाओं को रोजाना लाखो की कमाई हो रही है वहीं झारखंड सरकार को  राजस्व की हानि हो रही है।

दामोदर तट के वन भूमि पर माफिया कर रहे अवैध डंपिंग 

थाना क्षेत्र के छापर देवनद दामोदर नदी तट के  वन भूमि पर बालू माफियाओं द्वारा डंप यार्ड बनाया गया है जहाँ नदी से ट्रैक्टर के माध्यम से बालू डंप करते है।और यही डम्पिंग यार्ड से हाइवा वाहनों में  700 सीएफटी ओवरलोड बालू  बेचते है।जबकि 250 से 300 सीएफटी तक का ही चालान रहता है हाइवा वाहनों में।ज्ञात हो कि उक्त तस्वीर  में जो नजारा है देखा जा रहा है वह नजारा प्रतिदिन छापर स्थित दामोदर नदी घाट में देखने को मिलती है। 

छापर बालू घाट से अवैध बालू उत्खनन दामोदर नदी का अस्तित्व खतरे में

 बरसात के मौसम में जहां झारखंड सरकार द्वारा नदी घाटो को बंद किया गया वहीं दर्जनों गाड़ियों के माध्यम से नदी घाट से बालू का अवैध उत्तखनन ने नदी के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया है। अगर इसी प्रकार का अवैध उत्तखनन होता रहा तो आनेवाले समय मे ना ही नदी बचेगी और ना ही पानी।ऊपर से जल,जंगल व जमीन पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा।

 ग्रामीणों द्वारा दिया गया था आवेदन 

अवैध बालू तस्करी को लेकर ग्रामीणों  ने आवेदन देकर मुख्यमंत्री झारखंड सरकार  से अवैध उत्तखनन रोकने की गुहार लगाई थी।वावजूद आज दर्जनों गाड़ियों को इस नदी घाट में देखी जा रहीं है।

  स्टॉक चलान दिखा कर सारा बालू का उठाव नदी से किया जा रहा है

बालू का यह काला खेल स्टॉक चालान दिखा कर किया जा रहा है।लॉक डाउन होने के वावजूद अवैध बालू उठाव ने ग्रामीणों को स्तब्ध कर दिया है।

प्रकृति पर असर 

बालू के अवैध उत्तखन्न से प्रकृति पर व्यापक असर पड़ रहा है।नदियों में बालू उठाव के कारण सुख चुकी है।पानी जमीन के अंदर धंस गयी है।आस पास के जंगलों पर भी इसका अच्छा खासा प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है।लगातार गाड़ियों के जंगली  क्षेत्रों से आवागमन के कारण गांव गांव के साथ जंगल भी प्रदूषण के जद में आ गया है।परंतु माफियाओ को इससे कोई फर्क पड़ने वाला कहाँ है।इसका असर तो आनेवाले समय पर पड़ेगा जब नदियाँ बंजर बन जाएगी और पानी के स्थान पर सिर्फ गढ़े नजर आएंगे।आखिरकार नदियां का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगी।

फोन नहीं उठा रहे खनन पदाधिकारी 

दूसरी ओर इस विषय पर जिला खनन पदाधिकारी सुबोध कुमार सिंह के मोबाइल नम्बर पर कॉल किया गया।पर फ़ोन नही उठाया। वहीं अंचलाधिकारी मधुश्री मिश्रा ने कहीं की जानकारी प्राप्त हुई है मैं जांच करूँगा।जांचोपरांत दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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