बरहड़वा। एनएच के बरहड़वा फरक्का पथ पर दर्जनभर ईट भट्ठों की चिमनी वायु को दूषित करने मे अहम भूमिका निभा रही है। जानकारी रहे की बरहड़वा फरक्का मुख्य व ग्रामीण पथ के किनारे उपजाऊ खेतीहर जमीन पर संचालित ईट भट्ठें सरकारी नियमों के मुताबिक कोई भी उद्योग धंधा नहीं लगाया जा सकता और नहीं सरकार या प्रशासन ऐसे किसी उद्योग की स्थापना की अनुमति ही दे सकते है।
आधे दर्जन चिमनी ईट भट्ठा संचालकों का दावा है की पर्यावरण और से एनओसी प्नाप्त है। सूत्रों की माने तो अगर अनुमति प्राप्त है तो इसकी दो वजह हो सकती हैं एक उद्योग मालिक ने जमीन के कृषि उपयोगी होने की जानकारी छिपायी या फिर पर्यावरण विभाग ने इसकी अनदेखी की दोनों ही स्थिती में चिमनी ईट भट्ठा लगाना पूरी तरह अवैधानिक व गैरकानूनी है।
जबकि जमीन का फैसला राजस्व विभाग ही कर सकता हैं जिसकी सुप्रिम एथारटी जिले के उपायुक्त होते है। इस प्रकार की जमीन पर कोई इंड्रस्ट्रीज लगाये जाने से पहले राजस्व अनुमति भी होना जरुरी है। इसके लिये जमीन का डायवर्सन कराया जाना अनिवार्य है। इससे सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की प्राप्ती होती लेकिन जमीन का डायर्वसन कराये बीना ही उद्योग लगा लिया गया इस तरह लाखों रुपये राजस्व की चोरी की गयी और सरकार व प्रशासन से धोखाधड़ी कर उद्योग की स्थापना की गयी जो एक अपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता हैं ।
आश्चर्य की बात तो यह हैं की सारा गोरखधंधा उद्योग विभाग की शह पर हुआ जिसने नियम विरुध्द तरीके से फेक्ट्री को जमीन के ड्रायवर्सन न कराने का पत्र जारी कर दिया जबकी उद्योग विभाग को ऐसा कोई अधिकार हैं ही नहीं जमीन संबधित अधिकार सिर्फ राजस्व विभाग को ही हैं वही तय करता हैं कि किस जमीन का डायर्वसन किया जायेगा किसका नहीं उसकी एनओसी के बिना जिले में कोई भी फेक्ट्री व उधोग नही लग सकते। इसलिए जब भी किसी उद्योग के लिये भू अर्जन होता हैं तो उसकी सूचना राजस्व विभाग ही जारी करता है। और किसी भी विवाद का निपटारा राजस्व न्यायालय में ही किया जाता है। एनएच के किनारे प्रदूषण फैलाते ईट भट्ठों द्वारा राजस्व नियमों का कोई पालन नहीं किए जाने से पर्यावरण विभाग के अधिकारी बोर्ड के सदस्य व सचिव समेत एनजीटी में मामला ले जाने के लिए सामाजिक संगठन ने खाका तैयार कर लिया है।