झारखंड के प्रभारी डीजीपी का “आयरन हैंड” वाला बयान आजकल सुर्खियों में है । इससे पहले के डीजीपी डीके पांडे भी कभी गले में सांप लटकाने तो कभी तत्कालीन सीएम के दरबारी होने का आरोप झेलते रहे हैं। वर्तमान डीजीपी एम. वी. राव पर भी आरोप लग रहे हैं कि ये कानून के अनुसार नहीं, बल्कि सीएम हेमंत सोरेन को जो पसंद हो उसके अनुसार एक्सन लेते हैं…
यही हाल डीसी और यहां तक की सचिव स्तर के IAS अफसरों के बारे में भी कही जाती है ।
सत्ता बदलते ही तास के पत्तों की तरह फेंटे जाते हैं अफसर । जो करीब है उसे मलाई और जिसपर विपक्षी दलों का करीबी होने के आरोप हैं उसे शंटिंग पोस्टिंग… हमारी नौकरशाही जनविमुख और भ्रष्ट होती जा रही है और ऐसा कई कारणों से है, लेकिन सबसे अहम कारण है नौकरशाही का राजनीतिक रुझान और नौकरशाहों पर राजनीतिक दबाव| नौकरशाही में भ्रष्टाचार एक सच्चाई है, इसके अलावा हमारी नौकरशाही संरचना भी लगातार विकृत होती जा रही है|
प्रभारी डीजीपी एम. वी. राव पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में भटकते रहे…बकोरिया कांड को लेकर इनके साथ क्या-क्या नहीं हुआ . लेकिन हेमंत सरकार के आने के साथ ही “राव इज किंग”…सुनील वर्णवाल जैसे प्रतिभाशाली अफसर रघुवर दास के करीबी क्या हुए, हेमंत सरकार आने के साथ ही दुर्गति हो गई… यही है इस राज्य की नौकरशाही और नेताओं का असरली रिश्ता…इस रिश्ते में पैसों की छौंक मिला दी जाए तो एक “सड़ांध मारता सिस्टम” वाली रेसिपी तैयार होती है…
इसी राज्य ने अमित खरे जैसा नौकरशाह भी दिया है, जिनकी ईमानदारी के किस्से आज भी जनता की जुबान पर है तो वहीं प्रवीण सिंह जैसा पुलिस अफसर भी, जिसपर आरोप था कि उन्होने कनपटी पर पिस्टल सटाकर एक गरीब की जमीन लिखवा ली थी ।
हाल ही में केंद्र सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक और भारतीय पुलिस सेवा के दो वरिष्ठ अधिकारियों को कथित तौर पर काम में कोताही बरतने के कारण बर्खास्त कर दिया है| सरकार के इस कदम की प्रशंसा की जा रही है । यह माना जा रहा है कि पिछले 40 सालों से उपेक्षित रहे सिविल सेवा सुधारों की अब सुध ली जाएगी| आखिर IAS या IPS पर एक छोटी सी कार्रवाई पर आम जनता जश्न क्यों मनाती है ?
शेष फिर कभी…