Thursday 21st of November 2024 10:03:55 PM
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डोना देबे, लेकिन कोना नीं देबे

डोना देबे, लेकिन कोना नीं देबे.……..अर्थात घर आने वाले अतिथियों को भोजन-पानी देकर उनका स्वागत जरूर करें, परंतु जमीन न दें

रांची। केंद्रीय कृषि कानूनों और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हमले के विरोध में आज रांची में जन आक्रोश रैली का आयोजन किया गया है। इस महारैली में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज्य के वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री रामेश्वर उरांव और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख समेत अन्य दलों के नेता उपस्थित थे।

बाहरी लोगों के हाथों अपनी जमीन नहीं लूटने देंगे

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डाॅ0 रामेश्वर उरांव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि डोना देबे, लेकिन कोना नीं देबे,अर्थात घर आने वाले अतिथियों को भोजन-पानी देकर उनका स्वागत जरूर करें, परंतु जमीन न दें। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज के लिए जमीन उसकी अस्मिता और पहचान का प्रतीक है, जमीन छीन जाएगा, तो सबकुछ खत्म हो जाएगा।

आदिवासियों की जमीन की लूट की छूट नहीं

प्रदेश अध्यक्ष ने एक बार फिर दोहराया कि वे खुद भी अपने आप को बिहारी मानते है, लंबे समय तक बिहार राज्य के निवासी के रूप में उनकी पहचान रही, वर्ष 2000 में अलग झारखंड राज्य का गठन हुआ। उत्तर प्रदेश हो या तमिलनाडु हो अथवा किसी अन्य राज्य से लोग आये, सभी का झारखंड में स्वागत है, लेकिन आदिवासियों की जमीन की लूट की छूट नहीं दी जा सकती।

कुर्बानी देकर मिला है झारखण्ड

डाॅ0 उरांव ने कहा कि 1912 में बंगाल से बिहार अलग हुआ, जबकि 1932 में ओड़िशा अलग हुआ और अंग्रेजी शासन में झारखंड को भी 1946 तक अलग राज्य बनाने का वायदा किया गया था, परंतु इस बीच द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हो जाने के कारण अलग झारखंड राज्य नहीं बन पाया,जयपाल सिंह मुण्डा के संघर्ष और बाद में दिशोम गुरू शिबू सोरेन, शहीद निर्मला महतो समेत अन्य ने अपनी कुर्बानी देकर अलग झारखंड राज्य का गठन कराया।

हमारे आदिवासी सीएम पर हमला हुआ, उन्हें बदनाम करने की साजिश रची

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से एक षड़यंत्र के तहत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले को पिछले दिनों रांची में रोकने की कोशिश की गयी और सुरक्षाकर्मियों और आम लोगों पर हमला करने की कोशिश की गयी, उससे साफ हो जाता है कि भाजपा नेताओं द्वारा देशभर में गैर भाजपाई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है, मध्यप्रदेश, कर्नाटक समेत कई राज्यों में जबरन सत्ता हथिया लिया गया, झारखंड में भी कोशिश की गयी, लेकिन यह सफल नहीं होने पर सरकार को बदनाम करने की साजिश शुरू की गयी।

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