जीतनराम मांझी अपनी पार्टी “हम” का विलय नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में करने जा रहे हैं… मकर सक्रांति के बाद कभी भी इसकी घोषणा की जा सकती है…जेडीयू सूत्रों की माने तो जीतनराम मांझी और नीतीश कुमार के बीच बातचीत में विलय करने पर सहमति बनी है…
सूत्रों की माने तो एनडीए में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से जीतनराम मांझी और नीतीश कुमार दोनों चिंतत हैं…दोनों नेताओं को लगता है कि अगर अभी मैसेज नहीं दिया गया तो बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री बन सकता है…नीतीश कुमार जानते हैं कि ये उनकी अंतिम पारी है…लेकिन वे जाते-जाते किसी महादलित को सीएम पद की कुर्सी पर देखना चाहते हैं…नीतीश कुमार ने एक बार जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाकर दांव चला था लेकिन जीतनराम मांझी के बड़बोले बयानों और कुछ गलतियों की वजह से वो एक्सपेरिमेंट फेल हो गया…नीतीश के साथ बातचीत के दौरान जीतनराम मांझी ने भी माना है कि उनसे गलतियां हुईं थीं…
गैर-यादव ओबीसी और महादलित हैं नीतीस के निशाने पर
नीतीश कुमार जबसे मुख्यमंत्री बने हैं वो गैर-यादव ओबीसी और महादलितों का एक सामाजिक समीकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं…इसके अलावा मुसलमानों में भी गरीब तबके को जनकल्याणकारी योजना से जोड़कर वो अपने सामाजिक समीकरण को अभेद्य करना चाहते हैं… पसमांदा मुसलमानों के साथ किया गया एक्सपेरिमेंट अबतक उतना सफल नहीं रहा…इसके साथ ही नीतीश की कोशिश है कि भाजपा की छवि सवर्णों की पार्टी के तौर पर बरकरार रखी जाए…इसके साथ ही नीतीश का समीकरण अगर सफल होता है तो लोकजनशक्ति पार्टी और उसके प्रमुख चिराग पासवान को भी न्यूट्रलाइज़ किया जा सकेगा…
जबसे नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बनें हैं, भाजपा की कोशिश यूपी और बिहार के यादव मतदाताओं का दिल जीतने पर रहा है…हालांकि बिहार में लालू के रहते भाजपा का प्रयास सफल नहीं होता दिख रहा, लेकिन भाजपा के रणनीतिकारों की कोशिश है कि अगर सवर्ण और यादव उसके साथ जुड़ जाते हैं तो बिहार में उसे हराना मुश्किल होगा….नीतीश कुमार भाजपा की मंशा भांप चुके हैं…