दिल्ली और पश्चिमी यूपी को जोड़ने वाली गाजीपुर बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसानों का जमावड़ा है । 28-29 जनवरी को रात भर पश्चिम यूपी और हरियाणा के अलग-अलग जिलों से लोगों का आना जारी रहा । राकेश टिकैत के आंसुओ ने किसान आंदोलन को नया रंग दे दिया है । आंदोलन की भाषा पंजाबी से बदलकर हिन्दी हो चली है । नये आंदोलनकारी सिख नहीं, बल्कि जाटलैंड के जाट हैं । नया नारा है- “आंसू व्यर्थ नहीं जाएंगे”
राकेश टिकैत को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का समर्थन
खबर लिखे जाने तक RLD के नेता जयंत चौधरी गाजीपुर बॉर्डर पहुंच गए थे, चौधरी अजीत सिंह ने राकेश टिकैत को अपना समर्थन दिया था । भावनाएं उफान पर हैं । दावा किया जा रहा है कि राकेश टिकैत के आंसू देख पश्चिमी यूपी के लाखों जाट घरों में रात को चूल्हा नहीं जला । मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पश्चिमी यूपी की हिन्दू बनाम मुस्लिम राजनीति, एक बार फिर “जाट-मुस्लिम भाई-भाई” के नारे तले करवट ले रही है ।
इस बीच आज (शुक्रवार) से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है । लाल किले पर निशान साहिब का झंडा, 26 जनवरी को हिंसा और राकेश टिकैत के आंसुओ की पृष्ठभूमि में शुरु हुए बजट सत्र में हंगामा तो तय है । इसकी झलक राहुल गांधी, अखिलेश यादव सरीखे नेताओं के ट्वीट से मिल चुकी है ।
राकेश टिकैत ने गाजीपुर बॉर्डर पर युवक को थप्पड़ मारा- ANI
इस बीच राकेश टिकैत ने राजनीति का हर पैतरा आजमा रहे हैं । पहले धमकी, फिर आंसू के बाद देर रात उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर पर उन्होंने एक युवक को थप्पड़ मार दिया । इससे कुछ वक्त के लिए वहां हंगामा खड़ा हो गया ।