कोलकाता: स्कूलों की फीस में कितनी छूट दी जाएगी इसे प्रत्येक स्कूल के लिए बनायी जाने वाली कमेटी तय करेगी। इसमें हेडमास्टर/ प्रिंसिपल के अलावा तीन वरिष्ठ अध्यापक और अभिभावकों के तीन प्रतिनिधि शामिल होंगे। विनीत रुइयां की तरफ से स्कूलों की फीस के बाबत दायर पीआइएल पर सुनवायी करने के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस संजीव बनर्जी के डिविजन बेंच ने यह आदेश दिया।
इस मामले में पैरवी कर रही एडवोकेट प्रियंका अग्रवाल ने बताया कि सीएनआइ ने अपने स्कूलों को इस आदेश की परिधि से बाहर रखने की अपील करते हुए कहा कि उन्होंने पहले ही काफी रियायत दी है। इसके साथ ही एक भी छात्र-छात्रा को फीस नहीं दे पाने के कारण वंचित नहीं किया गया है।
जस्टिस बनर्जी ने कहा कि 145 स्कूल हैं और सभी के मामले में एक सामूहिक आदेश नहीं दिया जा सकता है। प्रत्येक स्कूल की परिस्थिति पर गौर करना पड़ेगा। सीएनआइ के स्कूल भी बाकी स्कूलों की तरह कमेटी बना कर सुझाव दे कि क्या कोई छूट दी जा सकती है। एडवोकेट अग्रवाल ने कहा कि बहुत सारे स्कूलों ने दलील दी कि यह सुविधा सिर्फ उन्हें दी जाए जो पैनडेमिक के कारण बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
जस्टिस बनर्जी ने कहा कि अगर इसे मान लेते हैं तो पूरी प्रक्रिया ही निरंकुश बन जाएगी। ये कमेटियां एक प्रतिशत निर्धारित करेंगी, जिसके आधार पर स्कूल की फीस में छूट दी जाएगी। इसके बाद तय फीस सभी छात्र-छात्राओं को देना पड़ेगा। एडवोकेट प्रियंका अग्रवाल ने बताया कि जस्टिस बनर्जी ने अनुरोध किया है कि जो देने में सक्षम हैं वे दें, ताकि जरूरतमंदों की और अधिक मदद की जा सके।