तेज़पुर, असम
2022 की एक घटना बनी मिसाल
असम के नगांव ज़िले के अमोनी गाँव में 6 जुलाई 2022 को एक 8 महीने के बच्चे को ज़हरीले साँप ने डस लिया था। वन्यजीव बचावकर्ताओं की तत्परता से बच्चे को तेज़पुर मिशन अस्पताल ले जाया गया और उसकी जान बचाई जा सकी।
🔍 जागरूकता है असली “एंटीडोट”
स्नेक रेस्क्यूअर सौरव बरकटकी, जो खुद भी एक बार कोबरा के डसने से घायल हो चुके हैं, ने ETV भारत से विशेष बातचीत में कहा:
“पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा कि जैसे-जैसे लोगों में सांपों को लेकर जागरूकता बढ़ी है, वैसे-वैसे **सर्पदंश से होने वाली मौतें भी कम हुई हैं।”
बरकटकी और उनकी टीम राज्यभर में लोगों को सिखा रहे हैं कि सांपों के साथ कैसे सहअस्तित्व में रहा जाए और डरने की बजाय समझा जाए कि सांप पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
📊 आंकड़े बताते हैं बड़ी सफलता
-
2022: 150 मौतें
-
2023: 37 मौतें
-
2024: 36 मौतें
-
2025 (अब तक): सिर्फ 14 मौतें
🧪 सांपों की प्रजातियाँ और ज़हर
बरकटकी के अनुसार:
-
विश्वभर में लगभग 3000 प्रजातियाँ हैं, जिनमें केवल 600 ज़हरीली हैं और इनमें से 200 से कम प्रजातियाँ ही इंसानों के लिए गंभीर खतरा हैं।
-
उत्तर-पूर्व भारत (8 राज्यों) में 130-150 प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
-
असम में 6 ज़हरीली प्रजातियाँ आधिकारिक रिकॉर्ड में हैं, पर बरकटकी मानते हैं कि रसेल वाइपर को भी इसमें जोड़ा जाना चाहिए।
“गुवाहाटी चिड़ियाघर में पांच रसेल वाइपर रखे गए हैं, क्योंकि इन्हें जंगल में छोड़ना सुरक्षित नहीं।”
🐀 सांपों की भूमिका (Role of Snakes in Ecosystem)
बरकटकी ने बताया कि सांप:
-
चूहों और कीटों की संख्या को नियंत्रित करते हैं।
-
कई प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर हैं, खासकर पर्यावास की कमी, अवैध शिकार और जलवायु परिवर्तन के कारण।
-
डर और गलतफहमियाँ अक्सर सांपों की अनावश्यक हत्या की वजह बनती हैं।
“पूर्वोत्तर भारत जैव विविधता से भरपूर है, खासकर सरीसृपों के मामले में, और हमें इसे बचाने के लिए जागरूक रहना होगा।”