प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बलात्कार आरोपी को जमानत देते हुए विवादास्पद टिप्पणी की है कि पीड़िता ने “स्वयं मुसीबत को आमंत्रित किया” और वह घटना के लिए स्वयं भी जिम्मेदार है। यह फैसला न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने पिछले महीने सुनाया था, जो अब सामने आया है। यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य बलात्कार प्रयास के मामले में हाईकोर्ट के “असंवेदनशील” फैसले पर रोक लगाई थी।
पीड़िता, जो कि एमए की छात्रा है, ने अपने बयान में माना कि वह स्वेच्छा से एक रेस्तरां गई, जहाँ उसने अपने दोस्तों के साथ शराब पी। अत्यधिक नशे में होने के कारण उसने आरोपी के घर जाकर आराम करने के लिए सहमति दी। आरोपी के वकील ने अदालत को बताया कि महिला की शिकायत में यह आरोप है कि आरोपी उसे अपने रिश्तेदार के फ्लैट पर ले गया और वहां दो बार बलात्कार किया, लेकिन यह झूठा और साक्ष्य के विपरीत है।
कोर्ट की टिप्पणी:
न्यायालय ने कहा, “पीड़िता व आरोपी दोनों ही वयस्क हैं। पीड़िता एमए की छात्रा है, अतः वह अपने कृत्य के नैतिक और सामाजिक परिणामों को समझने में सक्षम थी। यहां तक कि यदि पीड़िता का आरोप सत्य मान भी लिया जाए, तो भी यह कहा जा सकता है कि उसने स्वयं ही मुसीबत को न्यौता दिया और वह स्वयं भी इसके लिए जिम्मेदार है।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़िता की मेडिकल जांच में हाइमन फटा पाया गया, लेकिन डॉक्टर ने यौन शोषण को लेकर कोई स्पष्ट राय नहीं दी।
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा, “इस मामले की प्रकृति, उपलब्ध साक्ष्य, आरोपी की संलिप्तता और सभी पक्षों की दलीलों को देखते हुए, मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि जमानत के लिए एक उपयुक्त मामला बनता है।”
पृष्ठभूमि:
इस फैसले से कुछ ही दिन पहले, 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अन्य फैसले पर रोक लगाई थी जिसमें कहा गया था कि महिला के स्तनों को पकड़ना और पजामे की डोरी खींचना बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने उस टिप्पणी को “असंवेदनशील” और “अमानवीय दृष्टिकोण” करार दिया था।